
नई दिल्ली। लोकसभा से निष्कासित टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया। इससे एक दिन पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने बंगला खाली कराने पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने कहा कि प्राधिकारियों के पहुंचने से पहले ही आज सुबह 10 बजे तक टेलीग्राफ लेन पर स्थित बंगला संख्या 9बी खाली कर दिया गया। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘बेदखली की कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मोइत्रा को बंगला खाली करने का भेजा था नोटिस
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले संपदा निदेशालय ने बंगला खाली कराने के लिए सुबह एक दल भेजा था और आसपास के इलाके में अवरोधक लगा दिए थे। निदेशालय ने इस सप्ताह मोइत्रा को बंगला खाली करने का नोटिस भेजा था। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘बंगले का कब्जा आधिकारिक रूप से संपदा निदेशालय को सौंप दिया गया है। हम यह आकलन कर रहे हैं कि संपत्ति को कोई नुकसान तो नहीं हुआ है।
#WATCH निष्कासित टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने नई दिल्ली में अपना सरकारी आवंटित आवास खाली किया। pic.twitter.com/UaaHjz37Oi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 19, 2024
दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
मोइत्रा को गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने संपदा निदेशालय के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और उनसे सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने कहा कि अदालत के समक्ष किसी विशेष नियम का उल्लेख नहीं किया गया है, जो सदस्यता रद्द होने पर सांसदों को सरकारी आवास से बेदखल करने से संबंधित हो। टीएमसी नेता को पिछले साल 8 दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित किया गया था। उन्हें बंगले का आवंटन रद्द किए जाने के बाद सात जनवरी तक बंगला खाली करने के लिए कहा गया था।
संपदा निदेशालय ने आठ जनवरी को एक नोटिस जारी कर उनसे तीन दिन के भीतर यह जवाब मांगा था कि उन्होंने सरकारी बंगला खाली क्यों नहीं किया है। 12 जनवरी को उन्हें फिर एक नोटिस भेजा गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 जनवरी को टीएमसी नेता से संपदा निदेशालय का रुख कर उन्हें आवंटित सरकारी बंगले में रहने देने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करने को कहा था।
इससे जुड़ा है मामला ?
मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर उपहार लेने और उनके साथ संसद की वेबसाइट की ‘यूजर आईडी और पासवर्ड’ साझा करने के आरोप में पिछले साल 8 दिसंबर को ‘अनैतिक आचरण’ का दोषी ठहराया गया था और लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था।
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