Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
नई दिल्ली। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह कार्रवाई कैश कांड मामले में गंभीर आरोपों के बाद हुई है। स्पीकर ने कहा कि उन्हें कुल 146 सांसदों जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता भी शामिल हैं, उनके हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव प्राप्त हुआ।
स्पीकर बिरला ने सदन में कहा कि प्रस्ताव में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की मांग की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में सामने आए तथ्य भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं और न्यायपालिका की साख बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाना आवश्यक है। बिरला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया नियमों के अनुसार शुरू की जाएगी।
बिरला ने बताया कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने गंभीरता से विचार किया था। शिकायत पर इनहाउस जांच प्रक्रिया अपनाई गई और जस्टिस वर्मा से प्रतिक्रिया मांगी गई। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की राय और अन्य तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि गहन जांच आवश्यक है। इसके बाद CJI ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजी थी।
महाभियोग प्रस्ताव पर आगे बढ़ते हुए स्पीकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन की घोषणा की। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी आचार्य शामिल हैं। यह समिति आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।
स्पीकर ने कहा कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास उसके बेदाग चरित्र पर आधारित है। अगर किसी न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सामने आते हैं, तो उनकी निष्पक्ष जांच और आवश्यक कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि समिति की रिपोर्ट आने तक महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा, लेकिन प्रक्रिया संवैधानिक प्रावधानों के तहत पूरी पारदर्शिता के साथ चलेगी।