Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
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22 Nov 2025
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इंदौर। नगर निगम में बीजेपी बोर्ड के कार्यकाल के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस ने नगर निगम की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के उद्देश्य से एक प्रेस वार्ता आयोजित की। लेकिन यह पीसी पार्टी की रणनीति के बजाय धर्म, जाति और ‘लव जिहाद’ जैसे विवादित मुद्दों की भेंट चढ़ गई।
इस प्रेस वार्ता में कांग्रेस पार्षद रुबीना इकबाल खान ने न केवल बीजेपी नेताओं पर निशाना साधा, बल्कि अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। रुबीना ने प्रेस कांफ्रेंस को ऐसा मोड़ दे दिया, जिससे पार्टी के भीतर की असहमति और नेतृत्व की निष्क्रियता उजागर हो गई।
वार्ड 39 से पार्षद रुबीना इकबाल खान ने सार्वजनिक मंच से सीधे-सीधे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से सवाल किया। उन्होंने कहा, “जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मुसलमानों के खिलाफ बयान देते हैं, तब हमारी पार्टी के नेता चुप क्यों हो जाते हैं? क्या हमें सिर्फ मुस्लिम वोट लेने के लिए याद किया जाता है?” उन्होंने इस सवाल के जरिए राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे तक को कटघरे में ला खड़ा किया।
पार्षद रुबीना इकबाल खान ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हिंदू लड़कियां दुर्गा बनो, बानो नहीं, बुर्के वाली नहीं बनो।” इस पर रुबीना ने सवाल उठाया, “बुर्का पहनने वाली महिलाएं क्या लव जिहाद फैला रही हैं? बुर्का पहनना एक धार्मिक पहचान है, इसका मतलब यह नहीं कि कोई महिला अपराधी है या दोषी है। यह सीधा मुस्लिम महिलाओं का अपमान है। अगर कुछ लोग गलती करते हैं तो पूरा समुदाय क्यों बदनाम किया जाता है?”
रुबीना ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, जो मालेगांव ब्लास्ट के आरोपों से बरी हो चुकी हैं, अब भी मुसलमानों को बदनाम करने में लगी हुई हैं। उन्होंने इस पर कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी पर नाराजगी जताते हुए कहा, “ऐसे समय में पार्टी को स्टैंड लेना चाहिए। लेकिन जब जिम्मेदारी की बारी आती है, तो हमारे बड़े नेता चुप हो जाते हैं।”
पार्षद रुबीना ने दो टूक कहा कि जब भी किसी ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दे पर बहस होती है, तो बुर्के पहनी महिलाओं को ही सबसे पहले निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह सोच बदलनी होगी कि एक समुदाय की महिलाएं हर बार शक के दायरे में आ जाएं।
रुबीना ने अपनी ही पार्टी पर भी सवाल उठाए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "चुनाव के समय ये नेता मुस्लिम समाज के पास वोट मांगने के लिए पहुंच जाते हैं, लेकिन जब धर्म और महिलाओं के सम्मान पर हमला होता है तो सब खामोश हो जाते हैं। क्या हमारा अपमान राजनीतिक मुद्दा नहीं है?"
इस घटना ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह को सतह पर ला दिया है। एक ओर जहां पार्टी नगर निगम में बीजेपी के खिलाफ जनता का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही थी, वहीं पार्षद के तीखे बयान ने पार्टी की एकता और नेतृत्व की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।