Aakash Waghmare
12 Nov 2025
भोपाल। भारतीय रेलवे की गौरवशाली इतिहास को सहेजने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पश्चिम मध्य रेलवे ने नैरो गेज का ऐतिहासिक इंजन NG LOCO नं. 514 (ZDM5) को भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार पर संरक्षित और प्रदर्शित किया है। यह कदम न केवल रेलवे की तकनीकी और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला एक स्थायी स्मारक भी बनेगा।
यह ऐतिहासिक लोकोमोटिव 22 टन वजनी है और इसे पहली बार 3 जून 1991 को धौलपुर से परिचालन में लाया गया था। लगभग तीन दशकों तक इस इंजन ने नैरो गेज (762 मिमी) पटरियों पर दौड़ते हुए कई यात्राओं को सफलतापूर्वक पूरा किया। इसकी अंतिम नियमित सेवा यात्रा 1 अप्रैल 2019 को टंटपुर-मथुरा खंड में संपन्न हुई।
इसके बाद 30 मार्च 2023 को इसे तकनीकी परीक्षण के लिए अंतिम बार चलाया गया और 1 अप्रैल 2023 को इसे औपचारिक रूप से सेवामुक्त कर दिया गया। यह डीजल वैक्यूम प्रणाली पर आधारित इंजन था, जिसका अनुरक्षण उत्तर मध्य रेलवे के धौलपुर डीजल लोको शेड द्वारा किया जाता था।
इस इंजन को रेलवे बोर्ड द्वारा 3 नवंबर 2023 को 'हेरिटेज एसेट' का दर्जा प्रदान किया गया, जिससे इसकी ऐतिहासिक महत्ता और भी अधिक बढ़ गई। इसके बाद, 23 जुलाई 2025 को इसे विशेष प्रबंध के तहत धौलपुर से भोपाल लाया गया और अब यह रानी कमलापति स्टेशन पर आगंतुकों और यात्रियों के लिए प्रदर्शित किया गया है।
इस ऐतिहासिक विरासत को स्टेशन परिसर में मंडल रेल प्रबंधक देवाशीष त्रिपाठी के मार्गदर्शन में स्थापित किया गया। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ कटारिया ने बताया कि यह पहल रेलवे के तकनीकी इतिहास को आम जनता के सामने लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह इंजन न केवल एक इंजीनियरिंग संरचना है, बल्कि भारतीय रेलवे के विकास की कहानी भी खुद में समेटे हुए है।
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