Manisha Dhanwani
10 Nov 2025
फरीदाबाद। हरियाणा के फरीदाबाद में एक डॉक्टर के किराए के घर से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने करीब 300 किलो RDX, AK-56 राइफल, कारतूस और रासायनिक पदार्थ बरामद किए हैं। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकी साजिश की जांच के दौरान की। डॉक्टर आदिल अहमद की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच में अब डॉक्टरों के एक पूरे नेटवर्क के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने फरीदाबाद के एक किराए के कमरे में छापा मारकर 14 बैग बरामद किए। इन बैगों में 300 किलो RDX, AK-56 राइफल, 84 कारतूस, 5 लीटर केमिकल और 2 ऑटोमैटिक पिस्टल रखी हुई थीं। छापेमारी के दौरान 10 से 12 पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की गाड़ियां मौके पर मौजूद रहीं। फिलहाल फॉरेंसिक टीम मौके से बरामद विस्फोटक और हथियारों की जांच कर रही है।
डॉक्टर आदिल अहमद राठर अनंतनाग के GMC मेडिकल कॉलेज में पहले रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में काम करता था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 7 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से उसे गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद जब उससे पूछताछ की गई, तो उसने फरीदाबाद में रखे विस्फोटकों की जानकारी दी। इसी आधार पर पुलिस ने फरीदाबाद में छापा मारा और बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए।
पुलिस के मुताबिक, आदिल ने फरीदाबाद में करीब तीन महीने पहले किराए पर कमरा लिया था। वह यहां रहता नहीं था, बल्कि केवल सामान रखने के लिए कमरे का इस्तेमाल करता था। कमरे से मिले विस्फोटकों की मात्रा इतनी ज्यादा है कि, पुलिस को शक है कि यह किसी बड़े आतंकी हमले की तैयारी का हिस्सा हो सकता है।
जांच में अब एक और डॉक्टर का नाम सामने आया है। डॉ. मुजमिल कश्मीर का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि, डॉ. मुजमिल ने ही हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा फरीदाबाद में छिपाया था। दोनों डॉक्टर आदिल और मुजमिल इस समय जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में हैं। दोनों से पूछताछ की जा रही है।
अब तक की जांच में इस केस के तार जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से जुड़ चुके हैं। जानकारी के मुताबिक, यह नेटवर्क गुजरात तक भी फैला हो सकता है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले तीन दिनों में 500 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है और 30 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। NIA और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की टीमें भी इस जांच में शामिल हो गई हैं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, यह मामला सिर्फ पोस्टर लगाने या व्यक्तिगत अपराध का नहीं, बल्कि एक संगठित आतंकी नेटवर्क का हिस्सा है। इस नेटवर्क ने मेडिकल संस्थानों की आड़ में हथियार सप्लाई किए। फिलहाल एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि, डॉक्टरों को किस संगठन से फंडिंग या सपोर्ट मिल रहा था और इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड कौन है।