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ज्ञानवापी मामले पर CM योगी का बड़ा बयान, बोले- मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा; पूछा- वहां त्रिशूल कैसे आया?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मामले में बड़ा बयान दिया है। योगी ने ज्ञानवापी को मस्जिद कहने पर आपत्ति जताते हुए पूछा कि, “त्रिशूल मस्जिद में क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखा है ना।” योगी ने ये भी कह दिया कि, मुस्लिम समाज को आगे आना चाहिए और ऐतिहासिक गलती दुरुस्त करनी चाहिए।

“ज्ञानवापी के अंदर देव प्रतिमाएं, त्रिशूल हैं”

सीएम योगी ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा कि, ”ज्ञानवापी को अगर मस्जिद कहेंगे, तो विवाद होगा। भगवान ने जिसको दृष्टि दी है। वो देखे न। त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है। हमने तो नहीं रखे हैं न। वहां ज्योर्तिलिंग हैं, देव प्रतिमाएं हैं। पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं।”

सीएम योगी ने आगे कहा,”मुझे लगता है कि ये प्रस्ताव मुस्लिम समाज की तरफ से आना चाहिए कि साहब… ऐतिहासिक गलती हुई है। उस गलती के लिए हम चाहते हैं कि समाधान हो।”

ASI सर्वे पर 3 अगस्त तक रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर गुरुवार (27 जुलाई) को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अब इस मामले में 3 अगस्त को हाईकोर्ट फैसला सुनाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के लिए वाराणसी जिला अदालत के 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ अंजुमन मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने की।

जांच से ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा

26 जुलाई को सुनवाई के दौरान ASI ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा था कि जांच से ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने कहा, ‘सर्वे में प्रॉपर्टी रिकॉर्ड की जाती है। छोटी मशीन से सैंपल बताया जाता है। फोटो में क्लोजअप लिया जाता है।’ सुनवाई में मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मॉर्डन तकनीक से स्ट्रक्चर की जांच की जा सकती है, वो भी बिना नुकसान पहुंचाए।

मुस्लिम पक्ष ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने आवेदन का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के आदेश में सुधार की मांग की है, जिसमें मस्जिद के अंदर पूजा के अधिकार की मांग करने वाले हिंदू पक्ष की मांग पर सवाल उठाने वाली समिति की अपील को निस्तारित कर दिया गया था।

अगस्त 2021 में शुरू हुआ विवाद

दरअसल, अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था, पिछले साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था।

कोर्ट ने दिया था ASI सर्वे का आदेश

वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वे कराने की इजाजत दी। विवादित हिस्से को छोड़ कर पूरे परिसर की ASI सर्वे को मंजूरी मिली। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। दरअसल, वाराणसी के चर्चित श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में 14 जुलाई को मस्जिद का सर्वे कराने की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई थी। जिसके बाद जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था। जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ASI सर्वे का आदेश दिया।

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