
ग्वालियर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को देश की आजादी का दिन बताने वाले बयान पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने संघ प्रमुख के बयान को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान बताया है और उनसे माफी की मांग की है।
यह स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान- दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने कहा, “आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। यह उन सभी का अपमान है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया।” उन्होंने आरोप लगाया कि जब देश आजादी के लिए लड़ रहा था, तब आरएसएस ब्रिटिश हुकूमत का साथ दे रहा था और हिंदू महासभा के लोग मुस्लिम लीग के साथ सरकार बना रहे थे।
माफी मांगें मोहन भागवत
दिग्विजय सिंह ने मोहन भागवत से माफी की मांग करते हुए कहा कि उनका बयान न केवल स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, बल्कि देश के इतिहास को भी तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी साधा निशाना
दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के उस बयान को खारिज किया, जिसमें सिंधिया ने कहा था कि दिग्विजय सिंह ने उनके पिता माधवराव सिंधिया को हमेशा निशाना बनाया। दिग्विजय सिंह ने कहा, “मैंने कभी भी माधवराव सिंधिया के खिलाफ कुछ नहीं कहा। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया। जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का सवाल है, वह मेरे बेटे के समान हैं, लेकिन अब वह उन्हीं बातों को कह रहे हैं, जिनका उन्होंने कभी विरोध किया था।”
दिग्विजय सिंह ने सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा, “उन्होंने खुद भाजपा को ISI की पार्टी बताया था। अब उसी पार्टी में शामिल होकर उल्टी बातें कर रहे हैं। यह उनका नैतिक पतन है।”
सौरभ शर्मा मामले पर भी दिया बयान
दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर के सौरभ शर्मा के मामले पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “सौरभ शर्मा को ढूंढ कर लाएं। अगर वह ग्वालियर का है, तो उसका पता लगाया जाए।”
क्या कहा था मोहन भागवत ने
मोहन भागवत ने 13 जनवरी को कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इस दिन मिली थी।
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