Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
धर्मेन्द्र त्रिवेदी-ग्वालियर। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल व ग्वालियर के चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी लगभग 5 करोड़ के उपयोग में लापरवाही बरती गई है। भारत सरकार ने 2.50 करोड़ रुपए मल्टी डिसप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) की स्थापना के लिए, 3.55 करोड़ खेल चिकित्सा केन्द्र के लिए और 2.82 करोड़ स्टेट स्पाइनल इंजरी सेंटर के लिए जारी किए थे। केन्द्र द्वारा दी गई राशि में से गांधी मेडिकल कालेज भोपाल ने 2.70 करोड़ ही खर्च किए। बाकी राशि निष्प्रयोज्य पड़ी रही।
कैग की परीक्षण टीम ने बरती गई लापरवाही को जन स्वास्थ्य की अनदेखी बताया है। भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान मेडिकल कॉलेजों में अनुसंधान का माहौल तैयार करने के लिए धनराशि जारी की थी। कैग ने कहा सेंपल परीक्षण में सामने आया एमआरयू स्थापना की का उद्देश्य विफल रहा है।
ऑडिट में वर्ष 2021-22 के दौरान हुई खरीद का परीक्षण किया गया। 1.25 करोड़ रुपए के आवंटन में से 61.56 लाख के उपकरण खरीदे गए। पहली किस्त की शर्तें पूरी न होने पर गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल ने दूसरी और तीसरी किस्त की पात्रता खो दी। ज्वाइंट फिजिकल वेरिफकेशन में सामने आया कि एमआरयू के लिए खरीदे गए उपकरण मई 2022 तक बगैर उपयोग के रखे रहे।
लोक स्वास्थ्य अधोसंरचना एवं स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के ऑडिट प्रतिवेदन में जो कमियां या अच्छाइयां सामने आई हैं, वे प्रामाणिक रूप से प्रकाशित की गई हैं। -महेश प्रसाद श्रीवास्तव, उप महालेखाकार (प्रशासन)