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Peoples Reporter
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प्रीति जैन- शहर में 8 साल से गायत्री गरबा का आयोजन किया जा रहा है। इस गरबा महोत्सव की खास बात यह है कि इसमें सिर्फ लड़कियां व महिलाएं ही गरबा रिहर्सल करती हैं और परफॉर्मेंस देती हैं। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि कई लड़कियां और महिलाएं गरबा वर्कशॉप में जाना चाहती हैं लेकिन फैमिली सुरक्षा के चलते उन्हें गरबा करने भेजने से डरती हैं। वहीं, कई लड़कियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती और वे गरबा क्लासेस की महंगी फीस नहीं दे पातीं, इसलिए भी यह आयोजन किया जाता है। नेहरू नगर में पार्क और करूणाधाम आश्रम में पिछले एक महीने से रिहर्सल चल रही है और कलियासोत मैदान में 8 से 10 अक्टूबर तक फाइनल गरबा चलेगा, जिसमें सिर्फ फीमेल्स और कपल की एंट्री ही होगी।
मैं पिछले चार साल से गायत्री गरबा में हिस्सा लेती आ रही हूं। यहां पर हमें सुरक्षित वातावरण मिलता है। मैं लगातार इस गरबा में शामिल होने के लिए आती हूं। यह घर के पास में है तो कंफर्ट भी महसूस होता है। - नुपूर मलानी, प्रतिभागी
मैं गायत्री गरबा महोत्सव की वर्कशॉप में प्रतिभागियों को गरबा की ट्रेनिंग दे रही हूं। इसमें तीन ताली के साथ ही गरबा की अन्य स्टेप्स भी सिखाई गईं हैं। यह गुजराती गरबा से मिलता-जुलता है। इससे पहले मैं 25वीं बटालियन में गरबा सिखाती थी। यहां पर फर्स्ट टाइम गरबा सिखाने आई हूं। - पूनम तिवारी, ट्रेनर
मैं गायत्री परिवार से जुड़ी हूं इसलिए इस गरबा महोत्सव को हमने गायत्री गरबा महोत्सव नाम दिया। 8 साल पहले जब हमने इस गरबा महोत्सव की शुरुआत की थी, तब इसमें 60 महिलाएं शामिल हुईं थीं। इस बार 250 से अधिक महिलाओं और लड़कियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। हमारी कोशिश है कि गरबा में आने वाली लड़कियों और महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने के लिए फीमेल्स को प्राथमिकता दे सकें। मेल को आना है तो वह कपल में आ सकते हैं। अकेले बॉयज को एंट्री नहीं मिलेगी। कलियासोत मैदान में 8 से लेकर 10 अक्टूबर तक फाइनल गरबा चलेगा। - संतोष कंसाना, आयोजक, गायत्री गरबा महोत्सव
इस गरबे में यह मेरा फर्स्ट टाइम है। गरबे के स्टेप सीखने के लिए 15 सितंबर से वर्कशॉप में हिस्सा लिया। इस दौरान ट्रेनर्स ने गरबे के कई स्टेप्स सिखाईं। इस गरबा में सिर्फ गर्ल्स को ही एंट्री है इसलिए हम अपने आप को सेफ भी महसूस करतीं हैं। - नुपूर सोलंकी, प्रतिभागी