पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया। दिल्ली में किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए एक साल से आंदोलन कर रहे थे। जब से किसानों के आंदोलन शुरू किया तब से लेकर अब तक सरकार ने किसानों को मनाने के लिए उनके साथ कई बार बैठकें की, लेकिन सरकार और किसानों के बीच कभी भी सहमति नहीं बन पाई। जानिए कब क्या हुआ था…
किसानों से 14 अक्टूबर 2020 को पहली बार बात की थी
मोदी सरकार और किसानों के बीच 14 अक्टूबर 2020 को पहली बैठक हुई थी। पहली बैठक में केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल केंद्र सरकार की तरफ से शामिल हुए थे। इस दौरान किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था। किसानों का कहना था कि वे सिर्फ कृषि मंत्री के साथ ही बात करेंगे।
समिति बनाने की बात भी नहीं माने थे किसान
आंदोलन कर रहे किसानों के साथ 13 नवंबर 2020 को दूसरी बैठक हुई थी। इस बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए। बैठक के दौरान एक समिति बनाने की बात कही थी, लेकिन किसानों ने इसे खारिज कर दिया। करीब 7 घंटे चली यह बैठक बेनतीजा रही।
विशेषज्ञों के साथ भी हुई थी बैठक
आंदोलन में शामिल किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच हुई तीसरी बैठक 1 दिसंबर 2020 को हुई। यह बैठक करीब 3 घंटे तक चली। इस बैठक में सरकार ने किसानों को विशेषज्ञों की एक समिति बनाने की बात कही। किसानों ने इसे भी नहीं स्वीकार किया।
सरकार ने एमएसपी जारी का भी दिया था आश्वासन
जानकारी के अनुसार 3 दिसंबर 2020 को किसानों और सरकार के मध्य चौथी बैठक हुई। इसमें सरकार ने एमएसपी जारी रखने और कोई छेड़छाड़ न करने का आश्वासन दिया। लेकिन इस बार भी किसानों ने तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की। जिसके कारण इस बार की भी बैठक बेनतीजा रही।
किसानों ने इस बार भी कृषि कानूनों को वापस लेने को कहा था
सरकार और किसानों के बीच हो रही बैठक का कोई नतीज नहीं निकल रहा था। इसके बाद 5 दिसंबर 2020 को दोनों पक्षों के बीच 5वीं बैठक हुई। किसानों ने फिर कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही। सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिलने कारण बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला।
किसानों ने खारिज किया था 22 पेज का प्रस्ताव
लगातार बेनतीजा बैठकों के बाद 8 दिसंबर 2020 को किसानों और केंद्र सरकार के बीच छठी बैठक की गई थी। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। इस दौरान सरकार ने किसानों को 22 पेज का प्रस्ताव दिया, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया।
सरकार ने पराली जुर्माना निरस्त करने को कहा
जानकारी के अनुसार सातवीं बैठक 30 दिसंबर 2020 को हुई थी। इस बैठक में केंद्र सरकार ने विद्युत संशोधन अधिनियम 2020 को निरस्त करने और पराली के नाम पर किसानों पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने के प्रावधान को वापस लेने की बात कही गई, लेकिन किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद्द पर अड़े रहे।
आठवी बैठक में भी सरकार तीनों कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं हुई
आपको बता दें कि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आठवें दौर की बैठक 4 जनवरी 2021 को हुई। किसानों ने एक बार फिर तीनों कानूनों को वापस लेने की बात कही, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।
इस बार की बैठक में आक्रमक नजर आए अन्नदाता
लंबे समय से चल रहा बैठकों का दौर अभी भी खत्म नहीं हुआ। 8 जनवरी 2021 को फिर बैठक हुई। इस बार किसान ज्यादा आक्रमक नजर आए और कानून वापसी के अलावा किसी भी बात पर तैयार नहीं हुए। इस दैारान किसानों ने साफ कहा कि या तो जीतेंगे या मरेंगे। आंदोलन जारी रहेगा।
हर बार की तरह इस बार भी नहीं निकला कोई रास्ता
दिल्ली में किसानों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा था। इस पर केंद्र सरकार और किसान संगठन कोई समाधान निकालने के लिए 15 जनवरी 2021 को एकसाथ आए। बैठक में दोनों पक्ष अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहे और हर बार की तरह इस बार भी कोई रास्ता नहीं निकला।
कानूनों को डेढ़ से 2 साल के लिए निलंबित और विचार करने को कहा
दुनिया भर में चर्चा चल रहा था किसानों का आंदोलन। वहीं केंद्र सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की बैठक 20 जनवरी 2021 को हुई। इसमें केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ से 2 साल के लिए निलंबित करने और कानून पर फिर से विचार करने की बात कही। इसके बाद अगली बैठक बुलाई गई।
किसानों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मानने से किया इनकार
20 जनवरी को हुई बैठक के बाद फिर से बैठक बुलाई गई। 22 जनवरी 2021 को 12वीं बार बैठक में किसान और केंद्र सरकार शामिल हुए। इस बैठक में किसानों ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया जो पिछली बैठक में दिया गया था।
राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए
पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (19 नवंबर) सुबह 9 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन किया। इस दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया। बता दें कि इन तीनों कानूनों के विरोध में कई राज्यों के किसान पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए थे।
17 सितंबर 2020 को पास हुए ये तीनों कानून
जानकारी के अनुसार करीब 1 साल से जिन तीन कृषि कानूनों का विरोध हो रहा था, वे तीनों कानून 17 सितंबर 2020 को संसद में पास हुए थे।
- पहला कानून था कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020। इसमें किसानों को मनचाही जगह पर अपनी फसल बेचने की सुविधा दी गई थी।
- दूसरा कानून था, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण अनुबंध विधेयक 2020। इसमें देशभर में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था की गई थी।
- तीसरा कानून था, आवश्यक वस्तु संशोधन बिल। इसमें खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं से स्टॉक लिमिट को हटाया गया था।
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