भोपालमध्य प्रदेश

मौसम के साथ बदल जाती हैं बीमारियां: गर्मियों में संक्रमण 30%, ठंड में दोगुना तक बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा

भोपाल। मौसम में बदलाव के साथ अकसर बीमारियां भी बदलने लगती हैं। गर्मी के मौसम में जहां वायरल सहित अन्य बीमारियों का संक्रमण करीब 30 प्रतिशत बढ़ जाता है, वहीं सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा दोगुना से अधिक हो जाता है।

जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज (जेएईएस) 108 एंबुलेंस की एनुअल रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। हाल ही में जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल मई से जुलाई तक गर्मी के मौसम में संक्रमण के 136 गंभीर मरीजों को अस्पताल में एंबुलेंस से भर्ती किया गया। वहीं साल के आखिरी तीन महीने में जब तापमान गिर गया, तो संक्रमण के मामले अचानक कम हो गए, लेकिन हार्ट अटैक के मामले दोगुना से अधिक  बढ़ गए। पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर तक हार्ट अटैक के कुल 261 मरीज अस्पताल पहुंचाए गए, जबकि मई, जून और जुलाई में हार्ट अटैक के 121 मरीजों को ही  एंबुलेंस से अस्पताल  में भर्ती कराया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक, वायरस और बैक्टीरिया में भी बदलाव होता है, यही कारण है कि शरीर पर इनका असर भी अलग अलग होता है।

कार्डियक

माह कार्डियक रेस्पिरेटरी
अक्टूबर 84 101
नवंबर 69 112
दिसंबर 108 105
कुल 261 316

कार्डियक: मई-18 जून-44 जुलाई-59      कुल-121

रेस्पिरेटरी: मई-3 जून-59 जुलाई-59      कुल-121

वायरल एवं संक्रमण के अन्य मामले

संक्रमण और बुखार

माह मामले
मई 25
जून 101
जुलाई 136
कुल 162

(इन महीनों में गर्मी होती है)

संक्रमण : अक्टूबर-59          नवंबर-79              दिसंबर-72

गर्मियों में दूषित पानी, भोजन से नुकसान

मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अविनाश वर्मा बताते हैं कि गर्मियों में अक्सर दूषित पानी और भोजन की दिक्कत होती है। ऐसे में संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं। गर्मियों में खून पतला होता है, इसलिए थ्रोम्बोसिस के कारण होने वाले हार्ट अटैक नहीं होते। ठंड में तापमान गिरने से खून गाढ़ा होता है, इसलिए हार्ट अटैक के मामले कई गुना बढ़ते हैं। दोनों मौसम में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।

सर्दियों में सांस के संक्रमण का खतरा

हमीदया अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा बताते हैं कि ठंड में अक्सर सांस की बीमारियां बढ़ने लगती हैं। इस मौसम में वायरल इंफेक्शन सीधे फेफड़ों पर असर करता है। यही कारण है कि कोरोना, स्वाइन फ्लू जैसी वायरल डिजीज का खतरा सर्दियों में ज्यादा होता है। हम अकसर सर्दियों में मास्क लगाने की सलाह देते हैं, इससे इंफेक्शन का खतरा कई गुना कम किया जा सकता है।

मौसम परिवर्तन से हो जाते हैं सेड

मौसम का बदलाव सिर्फ शरीरिक ही नहीं, मानसिक परेशानियां भी बढ़ाता है। जब भी मौसम बदलता है तो व्यक्ति एकदम गुमसुम, चिड़चिड़ा अकेले रहना, किसी प्रकार का निर्णय नहीं ले पाना, दिमाग में विचारों का चक्र चलने जैसी परेशानियों से घिर जाता है। इस वजह से इंसान कई बार डिप्रेशन का शिकार भी होने लग जाता है। इसे मेडिकल टर्म में सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) कहते हैं।

स्टाफ हर तरह की बीमारियों के लिए प्रशिक्षित

हमारे पायलट और टेक्निकल स्टाफ हर मौसम में सभी तरह की बीमारियों के मरीजों को प्राथमित उपचार देने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। हर मौसम में बीमारों और घायलों को तय समय में अस्पताल तक पहुंचाने का काम होता है।

                                                                                                                – तरुण सिंह परिहार, सीनियर मैनेजर, जेएईएस

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