Aakash Waghmare
21 Nov 2025
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट की जांच जितनी आगे बढ़ रही है, उतनी ही चौंकाने वाली परतें सामने आ रही हैं। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टर, जिन्हें समाज का रक्षक माना जाता है, वो एक घातक आतंकी मॉड्यूल चला रहे थे। NIA और दिल्ली पुलिस की संयुक्त जांच ने इस पूरे नेटवर्क की रचना, काम करने के तरीके और इसके दायरे का बड़ा खुलासा किया है।
लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट ने देश को झकझोर दिया था, लेकिन असली हैरानी तब हुई जब जांच एजेंसियों ने पाया कि इस हमले के पीछे मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग सक्रिय थे। डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. आदिल जैसे डॉक्टर न केवल आतंकियों को शरण और सपोर्ट दे रहे थे, बल्कि खुद विस्फोटक तैयार कर बड़े हमले की तैयारी में भी शामिल थे।
सबसे चौकाने वाली बात सामने आई कि, डॉ. मुजम्मिल एक आटा चक्की को विस्फोटक तैयार करने के उपकरण की तरह इस्तेमाल करता था। वह इसी चक्की में यूरिया को बारीक पीसता था, फिर मेटल पिघलाने वाली मशीन से उसे रिफाइन करता था। इसके बाद यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी किए गए केमिकल मिलाए जाते थे। इस मिश्रण से शक्तिशाली विस्फोटक तैयार होता था।
NIA ने 9 नवंबर को धौज गांव से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अगले ही दिन कश्मीर में उसके किराए के कमरे से 2558 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की। कुल मिलाकर करीब 2900 किलो विस्फोटक मिलने से साफ है कि, यह मॉड्यूल किसी बड़े हमले की तैयारी में था।
पूरी कहानी की शुरुआत एक इंसानी आधार से हुई। टैक्सी ड्राइवर का बेटा हादसे में झुलस गया था और उसे अल-फलाह अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां डॉ. मुजम्मिल ने उसका इलाज किया और इसी बहाने ड्राइवर से नजदीकियां बढ़ाईं। फिर एक दिन “दहेज में मिली चक्की” बताकर वह आटा चक्की उसके घर रख आया। असल में यही चक्की विस्फोटक तैयार करने की सबसे अहम मशीन थी। बाद में NIA की टीम जब उसके घर पहुंची, तभी ड्राइवर को असली सच का पता चला।
जांच से पता चला कि, यह गैंग बेहद संगठित और प्रोफेशनल तरीके से काम कर रहा था। उनके काम ऐसे बंटे हुए थे-
1. डॉ. मुजम्मिल- भर्तीकर्ता और बम तैयार करने का मास्टरमाइंड
2. डॉ. शाहीन उर्फ ‘Madam Surgeon’- ब्रेनवॉश और महिला सेल की जिम्मेदार
3. डॉ. उमर नबी- रणनीति और प्लानिंग का प्रमुख (हमले में मारा गया)
4. बाकी सदस्य- आदिल, इरफान, जसीर, आमिर
यह मॉड्यूल डॉक्टरों की सफेद कोट की आड़ में चल रहा एक गहरा और संगठित आतंकी नेटवर्क था।
जांच में यह भी सामने आया कि, डॉ. शाहीन महिलाओं की एक अलग आतंकी विंग तैयार करना चाहती थी। उसकी डायरी में कई लड़कियों के नाम लिखे मिले, जिन्हें ‘रेक्रूट’ करने की योजना थी। हालांकि, यह सेल पूरी तरह खड़ी नहीं हो सकी और बाद में उसने यह जिम्मेदारी डॉ. मुजम्मिल को सौंप दी।
NIA इस एंगल की भी जांच कर रही है कि, क्या मरीजों और उनके परिवारों की कमजोरियां जानकर उन्हें नेटवर्क में भर्ती किया जाता था? कई संदिग्धों का कहना है कि डॉक्टर इलाज के दौरान ही संपर्क बढ़ाते थे।
2900 किलो विस्फोटक मिलने के बाद जांच एजेंसियों को शक है कि-