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13 दिसंबर : संसद पर कायराना आतंकी हमले का दिन, 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी किया

नई दिल्ली। 2001 में 13 दिसंबर की सुबह आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था। देश की राजधानी के बेहद महफूज माने जाने वाले इलाके में शान से खड़े संसद भवन में घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर कार का इस्तेमाल किया और सुरक्षाकर्मियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहे। 45 मिनट तक आतंकी लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करते रहे। हालांकि, उनके कदम लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र कर पाते उससे पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया। इस आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे।

गृह मंत्री समेत करीब 200 सांसद लोकसभा में मौजूद थे

सुबह 11:28 बजे संसद के शीतकालीन सत्र की सरगर्मियां जारी थीं। विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित की जा चुकी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी लोकसभा से अपने-अपने सरकारी निवास के लिए निकल चुके थे। हालांकि, गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, कई मंत्री और करीब 200 सांसद लोकसभा में ही मौजूद थे।

हमलावरों ने AK-47 से अंधाधुंध गोलियां बरसाईं

उपराष्ट्रपति कृष्णकांत शर्मा के सुरक्षाकर्मी उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। तभी एक सफेद एंबेस्डर कार तेजी से उप राष्ट्रपति के काफिले की तरफ बढ़ी। यह काफी तेज रफ्तार में थी। लोकसभा के सुरक्षा अधिकारी जगदीश यादव ने कार को रुकने का इशारा किया। इस बीच उपराष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी एएसआई जीत राम, एएसआई नानक चंद और एएसआई श्याम सिंह भी कार रोकने के लिए दौड़े।

सुरक्षाकर्मियों को आता देख एंबेस्डर ड्राइवर ने गाड़ी को गेट नंबर एक की तरफ मोड़ देता है। इसी के पास उपराष्ट्रपति की कार खड़ी थी। रफ्तार तेज होने की वजह से यह कार उपराष्ट्रपति की का रसे टकरा गई। कार टकराते ही इसके चारों दरवाजे खुले और गाड़ी में बैठे पांच फिदायीन हमलावरों ने एके- 47 से अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी। संसद भवन के अंदर गोलियों की तड़तड़ाहट से चारों तरफ अफरातफरी मच गई। गोलीबारी में वे सुरक्षा अधिकारी सबसे पहले मारे गए, जो कार रुकवाने की कोशिश कर रहे थे।

आतंकियों ने ग्रेनेड फेंके

अफरा-तफरी के माहौल में जिसे जहां जगह मिली उस तरफ भागा। आतंकियों ने अब गोली बरसाने के अलावा ग्रेनेड भी फेंकने शुरू कर दिए थे। आतंकियों से मोर्चा लेने दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के सुरक्षाकर्मी गेट नंबर 11 की तरफ बढ़े तो दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। आतंकी हमले की भनक लगते ही गृह मंत्री आडवाणी और रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज समेत तमाम वरिष्ठ मंत्रियों और सांसदों को अंदर सुरक्षित जगह ले जाया गया और अंदर के दरवाजे बंद कर दिए गए।

आतंकवादियों की कोशिश किसी तरह सदन के दरवाजे तक पहुंचने की थी ताकि वो सदन के अंदर घुसकर मंत्रियों और नेताओं को निशाना बना सकें, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने पहले ही पोजीशन ले ली और जवाबी फायरिंग की। अब तक एनएसजी कमांडो और सेना को भी खबर जा चुकी थी। तक तक एक आतंकी मारा जा चुका था। बाकी आतंकियों को भी पुलिस और सुरक्षाबलों ने टारगेट कर घेर लिया और एक-एक कर ढेर कर दिया। आखिरी आतंकी को गेट नंबर 9 पर मारा गया।

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