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संतोष चौधरी-भोपाल। दोपहर 2.45 बजे। दिन सोमवार। स्थान, कलेक्ट्रेट कक्ष के बाहर। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह प्यून की बैंच पर बैठे हुए हैं। उनके सामने करीब दो दर्जन लोग अपने आवेदन लेकर खड़े हैं, उनके पास में ही खड़े हैं, ओएसडी ओपी पांडे और उनका स्टाफ। इस दौरान कलेक्टर एक युवक से बोले-आपका आवेदन मुझे याद है। आपके आवेदन पर काम चल रहा है। अब आप बार-बार यहां आकर परेशान मत होना। आपका 40 साल पुराना प्रकरण है और जांच कराने में थोड़ा समय लगेगा। मैं खुद फोन लगाकर आपको बताऊंगा कि आपका काम हो गया है।
एक युवक नीतिश को कोई निजी जमीन है। दस्तावेजों में सरकारी खाते में जुड़ गई है। वह एक जगह गलती होने का परिणाम भुगत रहे हैं। उनका करीब 40 साल पुराना प्रकरण है। इसके लिए वे कई बार कलेक्टर को आवेदन दे चुके हैं और व्यक्तिगत रूप से मिल भी चुके हैं। नीतिश सोमवार को कलेक्टर के पास मामले के निराकरण की गुहार लेकर पहुंचे थे। कलेक्टर ने नीतिश से कहा कि तुम्हारा काम हो जाएगा, बार-बार चक्कर मत लगाओ। उन्हें प्रकरण के बारे में पूरी जानकारी है। इधर, पीपुल्स समाचार ने इस संबंध में नीतिश से बात कर उनका पक्ष जानना चाहा तो उसका कहना था कि कलेक्टर साहब ने बोल दिया है, तो काम होने की पूरी उम्मीद है।
गांधी नगर निवासी भगत राम प्रजापति कलेक्टर को धन्यवाद देने पहुंचे और उनसे निवेदन किया कि सहायता राशि का चेक आपके हाथों ही लेंगे। असल में प्रजापति के 10 वर्षीय पुत्र जन्मजात बधिर के कॉक्लियर इम्प्लांट में मदद के लिए कलेक्टर से आवेदन किया था। कलेक्टर ने इसमें खर्च होने वाली करीब 7.50 लाख रुपए बैरागढ़ की जीव सेवा संस्थान, गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सहयोग से जुटाई है। ये लोग इस राशि का चेक प्रजापति को देना चाह रहे हैं। प्रजापति का कहना है कि साहब चेक आपके हाथों ही लूंगा । कलेक्टर ने कहा कि सहयोग करने वालों से चेक ग्रहण कर लो, लेकिन वह नहीं माना। कलेक्टर ने कहा, कल- समय निकालकर आता हूं।
कलेक्ट्रेट में पदस्थ रहे एक कर्मचारी की पत्नी भी कलेक्टर से मिलने पहुंची और उसने कहीं भी नौकरी लगवाने की गुहार की। पिछले महीने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बलराम की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वे किसी काम से ई-ऑटो में बैठकर जा रहे थे। कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि नगर निगम या किसीअन्य जगह उनकी नौकरी लगवा देते हैं। उन्होंने इस संबंध में ओएसडी को निर्देश दिए।
हमारी पहली प्राथमिकता यहां आने वाले जरूरतमंद लोगों की शिकायत सुनकर उनका निराकरण करना है। फिर उनकी शिकायत चैंबर में सुनी जाए या बाहर। मेरे दफ्तर में नहीं रहने पर कोई भी मेरे ओएसडी को शिकायत बताकर आवेदन दे सकते हैं। -कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर भोपाल