Aakash Waghmare
12 Dec 2025
भोपाल। मप्र की राजनीति में मुख्यमंत्री के बतौर डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) ने पहले ही दिन से सियासी पिच पर जिस आक्रामक और परिपक्व अंदाज में बल्लेबाजी शुरू की, उससे दो साल में ही भाजपा संगठन और राष्ट्रीय फलक पर उनकी बिल्कुल ही नई इमेज दिखाई देने लगी है। यही वजह है कि महाराष्ट्र और बिहार चुनाव प्रचार में उनकी टीआरपी देश के अन्य नेताओं की तुलना में प्रभावी और धमाकेदार रही। इधर, सत्ता के साथ संगठन में भी समन्वय के सूत्रों पर उनकी मजबूत पकड़ दिखाई देने लगी है। नक्सलवाद के खात्मे में उनकी रणनीति बालाघाट में नक्सलियों के सरेंडर के रूप में सबके सामने आ चुकी है।
प्रदेश भाजपा संगठन में नए अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) की ही पसंद माना जा रहा है। दो साल में उन्होंने अपनी जो कार्यशैली अपनाई उससे सत्ता-संगठन की चाल और बड़े फैसलों में विक्रमादित्य जैसी न्यायपरक दूरदृष्टि नजर आने लगी है। दो साल पहले तक भले ही डॉ. यादव की इमेज उच्च शिक्षा मंत्री व दूसरी कतार के नेता की रही हो, लेकिन सूबे की कमान संभालने के बाद वह बिल्कुल ही बदले अंदाज में सामने आए। नई पारी में एक तरफ जहां उन्होंने अपने सीनियर्स के 'मान' का ध्यान रखा वहीं अपने समकक्ष और जूनियर्स को भी भरपूर मौके दिए।
पीएम मोदी के फॉर्मूले पर अमल सीएम डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए विकास के फार्मूले को जमीन पर उतारने के लिए गरीब, किसान, युवा के साथ आधी आबादी अर्थात महिला वर्ग की योजनाओं को नई रफ्तार देने में जुटे हैं। बात चाहे इंडस्ट्रियल नवाचारों की हो या फिर जल, जंगल, जमीन, गाय, गरीब, पर्यटन, रोजगार, गीता महोत्सव और धार्मिक लोकों के फैसले। राम वन गमन पथ और कृष्ण पाथेय जैसे मेगा प्रोजेक्ट भी पाइप लाइन में हैं। इससे उन्होंने एक तरफ जहां योगी की तरह हार्ड हिंदुत्व की नई लकीर खींची, वहीं विकास पुरुष कहलाने की राह भी थाम ली।
नवाचार और इंडस्ट्रियल ग्रोथ मप्र में अब इंदौर, भोपाल मेट्रो ट्रेन के बाद उज्जैन और जबलपुर जैसे शहरों ने भी मेट्रो के सपने बुनने शुरू कर दिए हैं। मेट्रोपोलिटन सिटीज योजना और रीजनल इंडस्ट्रियल कानक्लेव जैसे नवाचार के बाद प्रदेश की इंडस्ट्रियल ग्रोथ देश में सबसे ज्यादा उभर कर सामने आई है। अब दो साल की समीक्षा के बाद उनकी नजर आगामी 3 साल के रोडमैप को जमीन पर उतारने पर लगी हुई है।