
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में 22 साल के युवक को जमानत दे दी। युवक पिछले तीन सालों से पॉक्सो एक्ट (POCSO) के तहत नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद था। कोर्ट ने कहा कि, मामले की परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी नहीं कि सिर्फ लड़की की उम्र के आधार पर युवक को लगातार जेल में रखा जाए।
कोर्ट बोला- नाबालिग परिणाम जानती थी
जस्टिस मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने कहा कि, लड़की और युवक के बीच प्रेम संबंध था और उनके बीच शारीरिक संबंध भी आपसी सहमति से बने थे। अदालत ने माना कि, 15 वर्षीय लड़की ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और युवक के साथ करीब 10 महीने तक रही, जो यह दर्शाता है कि वह अपने फैसले की गंभीरता को समझती थी।
लड़की ने खुद दी थी जानकारी
अदालत ने यह भी नोट किया कि, लड़की ने खुद अपने पिता को फोन कर बताया था कि वह उत्तर प्रदेश के एक गांव में युवक के साथ रह रही है। इसके बावजूद परिवार ने तत्काल कोई कानूनी कदम नहीं उठाया। यह भी इस बात की पुष्टि करता है कि, लड़की ने जबरन कुछ नहीं किया बल्कि उसने अपनी इच्छा से निर्णय लिया था।
चार साल से लंबित है मामला
कोर्ट ने यह भी कहा कि, आरोपी युवक चार साल से जेल में है और अब तक मुकदमे की सुनवाई शुरू नहीं हुई है। ऐसे में कानून के कठोर प्रावधानों के बावजूद न्याय के हित में युवक को जमानत देना उचित है। अदालत ने यह निर्णय न्यायिक विवेक के तहत लिया।
क्या है पूरा मामला?
- अगस्त 2020 में 15 साल की लड़की अपने घर से अचानक लापता हो गई थी।
- पिता को संदेह हुआ कि वह युवक के साथ भाग गई है।
- दो दिन बाद लड़की ने पिता को फोन कर बताया कि वह उत्तर प्रदेश में युवक के साथ रह रही है।
- मई 2021 में लड़की ने बताया कि वह गर्भवती है और युवक शादी करने से मना कर रहा है।
- पुलिस और परिवार ने लड़की को वापस लाकर मामला दर्ज कराया।
- 2020 से युवक जेल में है और कई बार जमानत की कोशिश असफल रही थी।
POCSO एक्ट और कोर्ट का विवेक
हालांकि, POCSO एक्ट के तहत नाबालिग की सहमति को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी जाती। लेकिन अदालत ने मामले की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कहा कि, प्रेम संबंध, लड़की की इच्छा और परिवार की निष्क्रियता यह दिखाते हैं कि यह मामला जबरदस्ती का नहीं है। इसलिए युवक को जमानत पर रिहा किया गया।
युवक को जमानत मिल चुकी है, लेकिन मुकदमे की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी। ट्रायल के दौरान सभी सबूत और गवाहियों के आधार पर कोर्ट अंतिम फैसला देगी।
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