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छत्तीसगढ़ के बस्तर में रक्षाबंधन से एक दिन पहले मां दंतेश्वरी को कच्चे सूत से बनी राखी चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है। इस साल भी शुक्रवार (8 अगस्त) की शाम मंदिर में यह अनोखी रस्म पूरी की गई। इसे यहां ‘राखी तिहार’ कहा जाता है और यह परंपरा करीब 800 साल पुरानी है।
मंदिर के सेवादार, जो दंतेवाड़ा के कतियाररास के मादरी परिवार से आते हैं, पीढ़ियों से माता के लिए राखी बनाते आ रहे हैं। इस बार भी उन्होंने मंदिर परिसर में ही कच्चे सूत से राखी तैयार की। राखी को पहले दंतेश्वरी सरोवर में ले जाकर जल से धोया गया।

राखी धोने के बाद उसे बांस की टोकनी में रखा गया और लाल रंग चढ़ाया गया। फिर विधि-विधान से मां दंतेश्वरी की पूजा कर राखी अर्पित की गई। इसके बाद अन्य देवी-देवताओं को भी राखी चढ़ाई गई।
मान्यता है कि मां दंतेश्वरी को राखी अर्पित करने और रक्षा बंधन मनाने से जीवन में किसी भी तरह की विघ्न-बाधाएं नहीं आतीं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, रक्षाबंधन से दो दिन पहले से ही यहां तैयारियां शुरू हो जाती हैं और पर्व के दिन पूरे क्षेत्र में उल्लास का माहौल रहता है।