Naresh Bhagoria
14 Nov 2025
अनुज मैना, भोपाल। बचपन सिर्फ खिलौनों और खेलों का नाम नहीं, यह वह उम्र है जहां सपने आकार लेते हैं और कल्पनाएं हकीकत बनने की राह पकड़ती हैं। कुछ बच्चे अपनी छोटी सी उम्र में ही बड़ा सोचने का साहस रखते हैं, कोई कागज पर लाइनें खींचकर जीवन की झलक उतारता है, कोई एक्टिंग से इमोशंस को आवाज देता है, तो कोई लहरों से जूझकर जीत की राह बनाता है। इन नन्हे हौसलों की कहानियां बताती हैं कि प्रतिभा का कोई पैमाना उम्र नहीं होती, बस जुनून और लगन चाहिए। उनके छोटे कदम आज भविष्य की बड़ी उड़ान के संकेत हैं, जहां हर स्ट्रोक, हर संवाद और हर मेडल यह कहता है कि अगर दिल सच्चा हो, तो उम्र कभी रुकावट नहीं बनती। चिल्ड्रन डे के मौके पर ऐसे ही बच्चों से बात की, जिनकी मेहनत हमें याद दिलाती है कि हर बच्चे के भीतर एक चमकता सितारा है, बस उसे पहचानने और उड़ने की आजादी देने की जरूरत है।

8 वर्षीय रूशांक बेलवंशी पोर्टेट पेंटिंग करते हैं। रूशांक बताते हैं कि समर वैकेशन के समय मधुबनी आर्ट पर काम करने वाले आर्टिस्ट शुभम नामदेव ने आर्ट वर्कशॉप लगाई थी, तो उसमें वे भी जाने लगे। इसी दौरान करीब तीन माह की वर्कशॉप में पोर्टेट पेंटिंग बनाना सीखा और दो पोर्टेट तैयार किए, जिसमें एक पोर्टेट भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का है। इस पोर्टेट को उन्होंने वर्कशॉप में जाने के बाद मात्र डेढ़ माह बाद ही बना ली थी। इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगा। रूशांक कक्षा 3 में पढ़ाई कर रहा है।

चाइल्ड आर्टिस्ट पुष्कल पुरी ने अपने अभिनय कौशल से कम समय में ही फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाई है। 12 वर्षीय पुष्कल वेब सीरीज रक्त ब्रह्मांड : द ब्लडी किंगडम, शॉट फिल्म रूमी, द जंगल स्टोरी सहित कई टीवी शो और विज्ञापनों में एक्टिंग से दर्शकों को प्रभावित किया। पुष्कल ने बताया कि वे टाइगर श्रॉफ, केके मेनन, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ आदि के साथ काम कर चुके हैं।

14 वर्षीय अरनव चौधरी तैराकी में नेशनल लेवल तक पहुंचे हैं। अब तक वे करीब 50 मेडल जीत चुके हैं, जिनमें एक दर्जन से अधिक गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। वे सीबीएसई नेशनल तैराकी कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया है। अब वे दिल्ली में होने वाले स्कूल गेम्स फेडरेशन नेशनल्स की तैयारी कर रहे हैं।