Aakash Waghmare
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
Aakash Waghmare
22 Nov 2025
नई दिल्ली। रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी एक बार फिर जांच एजेंसियों के घेरे में हैं। शनिवार सुबह सीबीआई (CBI) की टीम ने अनिल अंबानी से जुड़े अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। ये कार्रवाई बैंक फ्रॉड केस से जुड़ी बताई जा रही है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी अंबानी और उनकी कंपनियों से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने यह छापेमारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से जुड़े 2000 करोड़ रुपए के फ्रॉड केस को लेकर की है। 13 जून 2025 को एसबीआई ने अनिल अंबानी समूह के एक खाते को फर्जी घोषित किया था। इसके बाद 24 जून को इस मामले की सूचना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को दे दी गई थी। आरोप है कि इस लोन को नियमों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया और रकम का बड़ा हिस्सा वास्तविक कारोबारी उद्देश्यों के बजाय अन्य जगहों पर भेजा गया।
सीबीआई की टीम शनिवार सुबह करीब 7 बजे ही अंबानी से जुड़े ठिकानों पर पहुंच गई थी। जानकारी के अनुसार छापेमारी कुल छह जगहों पर की जा रही है। इनमें दिल्ली और मुंबई के पते शामिल बताए जा रहे हैं। फिलहाल एजेंसी ने इस पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि बैंक फ्रॉड से जुड़े अहम दस्तावेज और डिजिटल डेटा की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि सीबीआई की इस कार्रवाई से पहले ईडी ने भी अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए बुलाया था। यह पूछताछ 17,000 करोड़ रुपए के बैंक लोन घोटाले के सिलसिले में हुई थी। ईडी ने नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में अंबानी से कई घंटों तक सवाल-जवाब किए। पूछताछ के दौरान उनसे ये सवाल किए गए कि क्या लोन की रकम शेल कंपनियों को ट्रांसफर की गई, क्या राजनीतिक दलों को फंडिंग की गई और क्या किसी अधिकारी को रिश्वत दी गई। ईडी ने अंबानी को एक हफ्ते बाद दोबारा पेश होने के लिए भी कहा था।
पिछले महीने ही ईडी ने दिल्ली और मुंबई में अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों और ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान एजेंसी ने करीब 35 जगहों की तलाशी ली और 50 कंपनियों की गतिविधियों की जांच की। ईडी का आरोप है कि कंपनियों ने बैंकों, शेयरधारकों और निवेशकों को धोखा देकर जनता के पैसे की हेराफेरी की। जांच के दौरान 25 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई थी।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की RAAGA कंपनियों को लगभग 3,000 करोड़ रुपए का ऋण दिया था। एजेंसी का दावा है कि लोन स्वीकृत होने से पहले यस बैंक के प्रमोटरों ने अपनी निजी कंपनियों के जरिए भुगतान प्राप्त किया था। इसे एक अवैध लेन-देन व्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है।