
अहमदाबाद। 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश मामले में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, क्रैश हुए विमान के ब्लैक बॉक्स का डेटा सफलतापूर्वक रिकवर कर लिया गया है। मेमोरी मॉड्यूल का एक्सेस भी मिल गया है। अब इस डेटा का विश्लेषण (एनालिसिस) एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा किया जाएगा।
ब्लैक बॉक्स से मिलेंगे हादसे के सुराग
सरकार की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया कि ब्लैक बॉक्स का मेमोरी मॉड्यूल एक्सेस हो गया है और उसका डेटा भी डाउनलोड कर लिया गया है। अब यह जानकारी तकनीकी और ऑडियो विश्लेषण के लिए AAIB के विशेषज्ञों को सौंपी गई है। जांच एजेंसी इस डेटा के जरिए यह पता लगाएगी कि हादसे से ठीक पहले विमान में क्या तकनीकी गड़बड़ी हुई और पायलटों ने क्या बातचीत की।
ब्लैक बॉक्स विदेश नहीं भेजा गया
इससे पहले 24 जून को नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा था कि ब्लैक बॉक्स को विदेश भेजने की जरूरत नहीं है। इसकी जांच भारत में ही की जा रही है। इसके लिए भारत के पास सक्षम तकनीक और संसाधन मौजूद हैं।
CVR और DFDR मिल चुके हैं
क्रैश के बाद मौके से दो ब्लैक बॉक्स सेट (CVR और DFDR) बरामद किए गए थे। पहला सेट 13 जून को मिला और दूसरा सेट 16 जून को बरामद किया गया।
- CVR (Cockpit Voice Recorder) – पायलटों की बातचीत रिकॉर्ड करता है।
- DFDR (Digital Flight Data Recorder) – विमान की तकनीकी जानकारियां जैसे गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति आदि रिकॉर्ड करता है।
क्या हुआ था 12 जून को?
12 जून की सुबह एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने लंदन के लिए अहमदाबाद से उड़ान भरी थी। टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद ही विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में 241 यात्रियों की मौत हो गई। एक यात्री को जीवित बचाया गया। क्रू और जमीन पर मौजूद अन्य लोगों को मिलाकर कुल 270 लोगों की जान गई।
ब्लैक बॉक्स क्या होता है और क्यों है जरूरी?
- ब्लैक बॉक्स विमान में लगे दो रिकॉर्डिंग उपकरणों का एक संयोजन है।
- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) – पायलटों की बातचीत और कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड करता है।
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) – विमान की तकनीकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है।
- यह उपकरण किसी भी एयरक्राफ्ट दुर्घटना की जांच में सबसे अहम भूमिका निभाता है। इससे पता चलता है कि विमान में तकनीकी गड़बड़ी हुई थी या मानवीय भूल के कारण हादसा हुआ।
ब्लैक बॉक्स के नाम के पीछे की कहानी
ब्लैक बॉक्स नाम को लेकर कई मान्यताएं हैं। पहले इन रिकॉर्डरों के अंदरूनी हिस्से काले रंग के होते थे, इसलिए यह नाम पड़ा। दूसरी मान्यता है कि विमान हादसे के बाद आग में जलकर यह काले रंग का दिखने लगता है, इसलिए इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा।
हालांकि, तकनीकी रूप से यह बॉक्स आमतौर पर चमकीले नारंगी रंग का होता है, जिससे उसे मलबे में आसानी से ढूंढा जा सके।
आगे क्या होगा?
AAIB अब ब्लैक बॉक्स से मिले डेटा का तकनीकी और ऑडियो विश्लेषण करेगा। रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इतनी बड़ी त्रासदी के पीछे असली वजह क्या थी। यह रिपोर्ट न केवल पीड़ित परिवारों के लिए न्याय का रास्ता खोलेगी, बल्कि भविष्य की उड़ानों के लिए भी जरूरी सबक साबित होगी।