Manisha Dhanwani
3 Oct 2025
आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में गुरुवार को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान दो अलग-अलग जगहों पर हुए हादसों में 15 से अधिक युवक उंटगन नदी में डूब गए। अब तक तीन शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि एक युवक को जीवित बचा लिया गया है। बाकी 12 युवकों की तलाश एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें कर रही हैं। इन हादसों से पूरे क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है।
पहली घटना खेरागढ़ इलाके की है, जहां डूंगरवाला गांव के पास उंटगन नदी में प्रतिमा विसर्जन के दौरान 14 युवक अचानक गहरे पानी में चले गए। महिलाएं किनारे रुक गई थीं, लेकिन युवक प्रतिमा लेकर नदी के बीच में उतर गए। अचानक तेज बहाव में सभी युवक डूबने लगे और चीख-पुकार मच गई।
पुलिस और ग्रामीणों ने रेस्क्यू शुरू किया। थाना प्रभारी मदन सिंह खुद वर्दी उतारकर नदी में कूद गए और गोताखोरों की मदद से एक युवक भोला को बाहर निकाला गया। उसकी हालत गंभीर है। कई घंटों की मेहनत के बाद तीन शव बाहर निकाले गए, जिनमें हरेश (20) और गगन (17) शामिल हैं। दोनों सगे भाई थे। बाकी 10 युवक अब भी लापता हैं।
दूसरी घटना ताजगंज क्षेत्र के करभना गांव में हुई, जहां पांच युवक नदी में डूब गए। इनमें से तीन किसी तरह तैरकर बाहर निकल आए, जबकि दो अब भी लापता हैं। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें युवक नदी में संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।
हादसों के बाद पीड़ित परिवार प्रतिमा के सामने बैठकर अपने लापता बच्चों की सलामती की दुआ मांगते रहे। उधर, ग्रामीणों ने रेस्क्यू में देरी का आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर दिया। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाकर शांत कराया।
खेरागढ़ हादसे के बाद जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा ने शुक्रवार को खेरागढ़ क्षेत्र के सभी स्कूल बंद रखने का आदेश दिया। डीसीपी वेस्ट अतुल शर्मा ने बताया कि प्रशासन ने पहले से विसर्जन स्थल निर्धारित किया था, लेकिन युवक वहां न जाकर बीच रास्ते नदी में उतर गए और यह हादसा हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसा दोपहर करीब ढाई बजे हुआ था। पुलिस और बचाव दल कई घंटे तक गोताखोरी करते रहे। देर रात तक केवल तीन शव बरामद हो सके। बाकी युवकों की तलाश जारी है।
कुसियापुर गांव के जिन युवकों की मौत हुई या जो लापता हैं, वे सभी एक ही गांव के रहने वाले थे। मृतकों के घरों में मातम छा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि मौके पर अगर सुरक्षा और बचाव के इंतजाम होते तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती।