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26/11 हमले के बड़े गुनाहगार लश्कर आतंकी अब्दुल सलाम भुट्टावी की जेल में मौत, हमलावरों को दी थी ट्रेनिंग

लाहौर। साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने वाले हाफिज अब्दुल सलाम भुट्टावी की पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक जेल में मौत हो गई। उसके एक सहयोगी ने बुधवार को यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित भुट्टावी ने कम से कम दो बार संगठन के प्रमुख के रूप में काम किया और अभी वह आतंकी वित्तपोषण को लेकर जेल में सजा काट रहा था। भुट्टावी ने पंजाब में लश्कर ए तैयबा के मुख्यालय की स्थापना की और वह प्रतिबंधित जमात-उद-दावा प्रमुख और मुंबई हमले के साजिशकर्ता हाफिज सईद का सहायक था।

जेल में बंद भुट्टावी को सीने में तेज दर्द हुआ था

जमात-उद-दावा के एक सदस्य ने मीडिया को बताया कि भुट्टावी (77) लाहौर से करीब 60 किलोमीटर दूर जिला जेल शेखुपुरा में अक्टूबर 2019 से बंद था। उसे 29 मई को सीने में तेज दर्द हुआ और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। कड़ी सुरक्षा के बीच, उसे मुरीदका में लश्कर मुख्यालय में दफनाया गया। जिसमें बड़ी संख्या में प्रतिबंधित संगठन के समर्थकों ने भाग लिया।

पंजाब सरकार के एक सूत्र ने बताया कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने भुट्टावी के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति देने का सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन उसे अनुमति नहीं मिली। सईद 2019 से कोट लखपत जेल में बंद है और आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में कई सजाएं काट रहा है।

यूएन ने घोषित किया था आतंकी

लाहौर की एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने आतंकी वित्तपोषण से जुड़े एक मामले में 2020 में भुट्टावी को 16 साल की जेल की सजा सुनाई थी। सईद के करीबी भुट्टावी पर 2011 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ISIS और अल कायदा प्रतिबंध समिति ने भुट्टावी को मार्च 2012 में घोषित आतंकवादियों की अपनी सूची में शामिल किया था।

हमले में मारे गए थे 166 लोग

26 नवंबर 2008 की उस खौफनाक रात को आज भी याद कर लोगों की रूह कांप उठती है। उस दिन पाकिस्तान से आए जैश-ए-मोहम्मद के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। जिसमें 18 सुरक्षाकर्मी समेत 166 लोग मारे गए थे। वहीं करीब 300 लोग घायल हो गए थे। हमले से तीन दिन पहले यानी 23 नवंबर को 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में दाखिल हुए थे।

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