Manisha Dhanwani
21 Oct 2025
नई दिल्ली। बिहार के सीवान जिले में मतदाता सूची संशोधन के दौरान हुई एक बड़ी लापरवाही ने 34 वर्षीय मिंता देवी को कागजों में 124 साल की बुजुर्ग बना दिया। इस मामले ने संसद से लेकर सड़क तक राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को संसद परिसर में अनोखा प्रदर्शन करते हुए चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान पर गंभीर सवाल खड़े किए।
मिंता देवी, सीवान जिले की दरौंदा विधानसभा सीट के अरजानीपुर गांव की रहने वाली हैं। उनके आधार कार्ड के अनुसार उनकी जन्मतिथि 15 जुलाई 1990 है, यानी उनकी उम्र 34 साल है। लेकिन मतदाता सूची में उनका जन्म वर्ष 1900 दर्ज कर दिया गया, जिससे उनकी उम्र 124 साल हो गई।
मिंता देवी के पति धनंजय सिंह के मुताबिक, उन्होंने आधार कार्ड के आधार पर ऑनलाइन फॉर्म भरा था, लेकिन वोटर आईडी कार्ड आने के बाद इसे कुछ दिनों तक खोला नहीं। बाद में जब कार्ड देखा गया, तब इस बड़ी गलती का पता चला।
मिंता देवी और उनके परिवार का कहना है कि SIR प्रक्रिया के दौरान कोई भी बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) उनके घर नहीं आया। मिंता के ससुर तेजप्रताप सिंह और पड़ोसी सुरेश सिंह ने भी कहा कि गांव में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। परिवार ने चुनाव आयोग से इस गलती को तुरंत सुधारने की मांग की है।
दिल्ली में संसद भवन के बाहर कांग्रेस, राजद और इंडिया ब्लॉक के अन्य सांसदों ने मिंता देवी की तस्वीर और “124 Not Out” लिखी टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन किया। प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि यह केवल एक गलती नहीं, बल्कि चुनाव आयोग की गंभीर लापरवाही का उदाहरण है। राहुल गांधी ने कहा कि ऐसे अनगिनत मामले सामने आएंगे और “अभी तो पिक्चर बाकी है।” विपक्ष का कहना है कि यह मतदाता सूची से नाम हटाकर ‘वोट चोरी’ की साजिश का हिस्सा हो सकता है।
चुनाव आयोग का कहना है कि 2004 के बाद से बिहार में SIR नहीं हुआ था, जिसकी वजह से कई गैर-योग्य लोग वोटर कार्ड बनवा चुके हैं और कुछ लोगों के पास अलग-अलग सीटों के कई कार्ड हैं। आयोग के मुताबिक, अब तक किसी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने को लेकर औपचारिक शिकायत नहीं की है।