Shivani Gupta
19 Sep 2025
Shivani Gupta
19 Sep 2025
Shivani Gupta
19 Sep 2025
Manisha Dhanwani
19 Sep 2025
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। सरकार ने शुक्रवार को इस प्रतिष्ठित आइवी लीग विश्वविद्यालय की संघीय फंडिंग तक पहुंच पर नई पाबंदियां लागू कर दीं। यह निर्णय अमेरिका के शिक्षा विभाग ने लिया और बताया कि हार्वर्ड को अब हाइटेंड कैश मॉनिटरिंग यानी सख्त वित्तीय निगरानी की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब यह है कि अब हार्वर्ड को पहले अपने संसाधनों से छात्रों को संघीय छात्रवृत्ति और सहायता राशि वितरित करनी होगी और उसके बाद ही सरकार से धन की वापसी मिलेगी। सामान्यत: विश्वविद्यालय पहले से ही सरकार से धन लेकर उसका उपयोग करते हैं, लेकिन यह विशेष प्रावधान किसी संस्थान की वित्तीय स्थिति पर सवाल खड़े होने पर लागू किया जाता है।
ये भी पढ़ें: ट्रेड डील पर भारत के लिए खुशखबरी! घटकर 10-15% तक हो सकता है अमेरिकी टैरिफ, मुख्य आर्थिक सलाहकार का बड़ा दावा
शिक्षा विभाग ने कहा कि हार्वर्ड की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता है। अमेरिका का सबसे पुराना और सबसे अमीर विश्वविद्यालय कहलाने वाले हार्वर्ड ने हाल ही में बॉन्ड जारी किए और कर्मचारियों की छंटनी की है। इसके अलावा व्हाइट हाउस के साथ उसके टकराव ने भी हालात को और जटिल बना दिया है। विभाग ने यह भी कहा कि हार्वर्ड को अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की गारंटी के लिए 36 मिलियन डॉलर का लेटर ऑफ क्रेडिट जमा करना होगा। यदि यह शर्त पूरी नहीं की गई तो संघीय छात्रवृत्ति फंड तक उसकी पहुंच और भी सीमित की जा सकती है।
ट्रंप प्रशासन का यह कदम केवल वित्तीय मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक राजनीतिक पृष्ठभूमि से भी जुड़ा है। राष्ट्रपति ट्रंप पहले से कई विश्वविद्यालयों पर सख्ती दिखा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि विश्वविद्यालय उनकी नीतियों के खिलाफ जाते हैं या ऐसे कदम उठाते हैं जो अमेरिकी सरकार की प्राथमिकताओं से अलग हैं, तो उनकी फंडिंग रोकी जा सकती है। इसमें फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों, ट्रांसजेंडर नीतियों, जलवायु परिवर्तन पहल और विविधता, समानता एवं समावेशन (डीईआई) कार्यक्रमों पर असहमति शामिल है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि विश्वविद्यालय करदाताओं के धन का उपयोग ऐसी विचारधाराओं को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं, जो अमेरिका के हितों के विरुद्ध हैं।
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, बोले- पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी क्यों नहीं...
शिक्षा विभाग का एक और आरोप है कि हार्वर्ड ने अब तक उसके सिविल राइट्स ऑफिस को आवश्यक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराए हैं। यह ऑफिस इस बात की जांच कर रहा है कि क्या हार्वर्ड अभी भी अपने स्नातक प्रवेश में जातीय और नस्लीय आधार को मानदंड के रूप में देखता है, जबकि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में स्पष्ट रूप से यह व्यवस्था दी थी कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों द्वारा अफर्मेटिव एक्शन यानी नस्लीय आधार पर प्रवेश की नीति अवैध है। यदि हार्वर्ड इस जांच में सहयोग नहीं करता है, तो शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि उसके खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई शुरू की जा सकती है, जिसका असर संघीय फंडिंग पर पड़ेगा।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने हाल ही में कोलंबिया और ब्राउन यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया था। कोलंबिया ने 220 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि सरकार को देने पर सहमति जताई, जबकि ब्राउन यूनिवर्सिटी ने स्थानीय कार्यबल विकास के लिए 50 मिलियन डॉलर देने का वादा किया। इन समझौतों के जरिए विश्वविद्यालयों ने सरकार की शर्तों को मान लिया। ट्रंप प्रशासन अब हार्वर्ड के साथ भी ऐसा ही समझौता करना चाहता है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट कहा है कि हार्वर्ड को कम से कम 500 मिलियन डॉलर देने चाहिए। इन घटनाक्रमों का अर्थ यह है कि अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली शैक्षणिक संस्था भी वर्तमान प्रशासन की सख्त नीतियों से अछूती नहीं है।