Mithilesh Yadav
18 Sep 2025
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के अति आत्मविश्वासी कार्यकर्ताओं और कई नेताओं का सच से सामना कराने वाले रहे। नेता और कार्यकर्ता पीएम नरेन्द्र मोदी के आभामंडल के आनंद में डूबे रह गए और उन्होंने आम जन की आवाज को अनदेखा कर दिया। ऑर्गनाइजर पत्रिका के ताजा अंक में छपे एक लेख में यह भी कहा गया कि आरएसएस भाजपा की जमीनी ताकत भले ही न हो, लेकिन पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने चुनावी कार्य में सहयोग मांगने के लिए स्वयंसेवकों से संपर्क तक नहीं किया। चुनाव परिणामों में उन पुराने समर्पित कार्यकर्ताआें की उपेक्षा भी स्पष्ट है, जिन्होंने बगैर किसी लालसा के काम किया।
समर्पित कार्यकर्ताओं के स्थान पर सोशल मीडिया तथा सेल्फी संस्कृति से सामने आए कार्यकर्ताओं को महत्व दिया गया। आरएसएस के आजीवन सदस्य रतन शारदा ने लेख में उल्लेख किया, 2024 के आम चुनाव के परिणाम अति आत्मविश्वास से भरे भाजपा कार्यकर्ताओं और कई नेताओं के लिए सच्चाई का सामना कराने वाले हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं को इस बात का अहसास नहीं था कि पीएम मोदी का 400 से अधिक सीटों का आह्वान उनके लिए एक लक्ष्य था और विपक्ष के लिए एक चुनौती। भाजपा चुनाव में 240 सीटों के साथ बहुमत से दूर रह गई है। लेकिन उसके नेतृत्व वाले राजग को 293 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को 99 सीटें जबकि इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिलीं। दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया है। इससे इंडिया गठबंधन के सांसदों की संख्या 236 हो गई है। शारदा ने कहा कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी साझा करने से नहीं, बल्कि मैदान पर कड़ी मेहनत से लक्ष्य हासिल किए जाते हैं। चूंकि वे अपने आप में मगन थे, मोदी के आभामंडल का आनंद ले रहे थे, इसलिए आम आदमी की आवाज नहीं सुन रहे थे। आरएसएस विचारक ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के पीछे अनावश्यक राजनीति को भी कई कारणों में से एक बताया। महाराष्ट्र अनावश्यक राजनीति और ऐसी जोड़तोड़ का एक प्रमुख केंद्र रहा। महाराष्ट्र में नंबर वन बनने के लिए वर्षों के संघर्ष के बाद आज वह सिर्फ एक और राजनीतिक पार्टी बन गई है।
शारदा ने किसी नेता का नाम लिए बगैर कहा कि भगवा आतंकवाद को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने वाले, हिंदुओं पर अत्याचार करने वाले, 26/11 को आरएसएस की साजिश कहने वाले तथा आरएसएस को आतंकवादी संगठन बताने वाले कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल करने जैसे फैसलों ने भाजपा की छवि को खराब किया और इससे आरएसएस से सहानुभूति रखने वालों को भी बहुत चोट पहुंची। शारदा ने कहा, मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि आरएसएस भाजपा की जमीनी ताकत नहीं है।