Shivani Gupta
24 Dec 2025
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारत की वंशवादी राजनीति पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन प्रोजेक्ट सिंडिकेट में प्रकाशित अपने लेख ‘Indian Politics Are a Family Business’ में लिखा है कि, भारतीय राजनीति अब एक फैमिली बिजनेस बन चुकी है। थरूर ने कहा कि, जब तक भारतीय राजनीति परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी, तब तक लोकतंत्र का असली मतलब पूरा नहीं हो सकेगा।
उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब भारत को वंशवाद की जगह योग्यता आधारित व्यवस्था (Merit-based System) अपनानी चाहिए। इसके लिए कानूनी रूप से तय कार्यकाल, आंतरिक पार्टी चुनाव और मतदाताओं में जागरूकता जैसे सुधार जरूरी हैं।
थरूर ने लिखा कि, अब यह सोच भारत की राजनीतिक व्यवस्था में गहराई से समा गई है कि राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार है। उन्होंने कहा कि, जब राजनीतिक नेतृत्व वंश के आधार पर तय होता है, तब शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। केवल उपनाम के आधार पर किसी को उम्मीदवार बनाना लोकतंत्र के साथ अन्याय है। थरूर ने चेताया कि, जब राजनेता जनता के बजाय अपने परिवार के प्रति जवाबदेह होते हैं, तब आम नागरिक की आवाज कमजोर पड़ जाती है।
थरूर ने लेख में नेहरू-गांधी परिवार को भारत का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार बताया। उन्होंने कहा कि, इस परिवार की विरासत आजादी के आंदोलन से जुड़ी है, लेकिन इसी वजह से यह सोच और मजबूत हुई है कि सत्ता कुछ परिवारों की जागीर है।
उन्होंने कई राज्यों के उदाहरण देते हुए कहा कि, जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार, ओडिशा में नवीन पटनायक, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव, बिहार में रामविलास और चिराग पासवान, महाराष्ट्र में उद्धव और आदित्य ठाकरे, पंजाब में प्रकाश सिंह और सुखबीर बादल, तेलंगाना में केसीआर का परिवार, तमिलनाडु में करुणानिधि और एम.के. स्टालिन। इन सबने पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता संभाली है।
थरूर ने लिखा कि, वंशवाद किसी एक दल या राज्य तक सीमित नहीं है। कांग्रेस ही नहीं, लगभग हर पार्टी में नेतृत्व का निर्धारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से होता है। उन्होंने कहा कि, ममता बनर्जी और कुमारी मायावती जैसी महिला नेता, जिनके प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी नहीं हैं। उन्होंने भी अपने भतीजों को उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया है।
थरूर के अनुसार, भारतीय राजनीतिक दलों में निर्णय अक्सर कुछ व्यक्तियों या एक ही नेता के इर्द-गिर्द सीमित रहते हैं। ऐसे में भाई-भतीजावाद योग्यता पर भारी पड़ जाता है।
थरूर ने अपने लेख में कहा कि, वंशवादी राजनीति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि, पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ परिवार, बांग्लादेश में शेख और जिया परिवार, श्रीलंका में बंदरनायके और राजपक्षे परिवार इन सभी देशों में भी राजनीति एक पारिवारिक परंपरा के रूप में चलती आ रही है।
थरूर के इस लेख पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि, थरूर का यह लेख कांग्रेस के भविष्य को लेकर उनकी निराशा दिखाता है। वहीं भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे साहसिक और सूझबूझ भरा कदम बताया। उन्होंने कहा कि, थरूर ने सही लिखा है कि गांधी परिवार ने भारतीय राजनीति को पारिवारिक व्यवसाय बना दिया है। वे अपने ही दल के ‘नेपो किड’ पर निशाना साध रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, यह लेख सपा, राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए झटका है, जिनकी राजनीति परिवार तक सीमित है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर के लेख का बचाव करते हुए कहा कि, परिवारवाद सिर्फ राजनीति में नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में है। डॉक्टर, व्यापारी, अभिनेता सभी अपने परिवार की राह पर चलते हैं। असली समस्या तब होती है जब अवसर कुछ परिवारों तक सीमित रह जाते हैं।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा कि, लोकतंत्र में फैसला जनता करती है। किसी को सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसके पिता सांसद थे।
शशि थरूर कई बार कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से हटकर बयान दे चुके हैं। उन्होंने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति, ऊर्जा और वैश्विक दृष्टि की तारीफ की है। थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी रणनीतिक कार्रवाई की सराहना की थी और कहा था कि इससे भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है।
15 फरवरी 2025: मोदी की अमेरिकी यात्रा को सराहा।
8 मई: ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र की तारीफ।
19 मार्च: रायसीना डायलॉग में कहा- मोदी जेलेंस्की और पुतिन दोनों को गले लगा सकते हैं।
10 जुलाई: इमरजेंसी को काला अध्याय बताया, लेकिन कहा कि उससे सबक लेना जरूरी है।