इंदौरमध्य प्रदेश

इंदौर कलेक्ट्रेट में घोटाला : आरोपी मिलाप चौहान की पत्नी और साला गिरफ्तार, 10 अन्य संदिग्ध खातों की तलाश

इंदौर। कलेक्टोरेट कार्यालय के लेखा शाखा के कर्मचारी मिलाप चौहान और अमित निम्बालकर द्वारा किए गए करोड़ों के गबन घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में मिलाप चौहान की गिरफ्तारी के बाद शनिवार देर रात रावजी गुजर पुलिस ने मिला चौहान की पत्नी मनीषा और साले अतुल चौहान को गिरफ्तार कर लिया है।

आरोपी द्वारा पत्नी और साले के खाते में घोटाले की राशि जमा कराए थी। जानकारी में यह भी सामने आया है कि पत्नी की खाते में 85 लाख जमा हुए थे। वहीं साले के खाते में 15 लाख रुपए जमा किए। पुलिस मनीषा और आरोपी के साले को कोर्ट पेश कर जल्द रिमांड पर लेगी।

प्रशासन को मिले 10 संदिग्ध खाते

इंदौर के कलेक्टोरेट कार्यालय का करोड़ों का रुपए के गबन मामले में पुलिस लगातार आरोपियों की जांच में जुटी हुई है। पूरे मामले में जहां कलेक्टर द्वारा 29 लोग खिलाफ FIR दर्ज की गई है। वहीं आरोपी मिला चौहान की पत्नी और साले के गिरफ्तारी के बाद आन्य लोगों गिरफ्तारी की बाकी है। पुलिस को यह भी जानकारी लगी है कि प्रशासन को 10 ऐसे संदिग्ध खाते मिले हैं, जिनमें करोड़ों की गबन की राशि सामने आ सकती है।

29 लोगों पर एफआईआर दर्ज

गुरुवार को जिला प्रशासन ने मिलाप के साथ ही 29 लोगों के खिलाफ इस ममाले में एफआईआर दर्ज कराई है। इनमें मिलाप चौहान के अलावा एक अन्य बाबू रणजीत करोडे और चपरासी अमित निंबालकर का नाम भी शामिल है। इन सभी के खिलाफ धारा 120 बी, 420 ,467 468 व धारा 409 में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। घोटाले के मामले में वर्ष 2020 से वर्ष 2023 तक सभी ट्रांजैक्शन मिलाप चौहान व उनके इन साथियों द्वारा किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मिलाप और उसके साथी मिलकर किसानों के फसल नुकसानी जैसे मुआवजे की रकम तक अपने खातों में ट्रांसफर करवा लेते थे।

ऐसे हुआ खुलासा

जानकारी के अनुसार, लेखा विभाग के अधिकारी कुछ दिन पहले ही शाखा का निरीक्षण करने आए थे। इस दौरान जिला कार्यालय की लेखा शाखा में पदस्थ मिलाप चौहान ने मनीषा बाई और एक्सट्रीम सॉल्यूशन वेंडर के रूप में स्वयं का खाता दिखा दिया। कार्यालय से होने वाले भुगतान इन दोनों खातों में हो गए।

इंदौर कलेक्टर ने बताया कि 3 वर्षों में धीरे-धीरे लेखापाल ने एक करोड़ रुपए अपनी पत्नी के खाते में डलवा दिए। इस मामले में बाबू को सस्पेंड करने के बाद इंदौर कलेक्टर एफआईआर भी दर्ज करवा सकते हैं। वर्ष 2020 से लेखापाल द्वारा यह गड़बड़ी की जा रही थी, लेकिन इस दौरान किसी ने नहीं पकड़ी। औचक निरीक्षण में पूरे मामले का खुलासा हुआ।

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