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रूस ने पाकिस्तान के साथ 2.6 अरब डॉलर की डील को फर्जी करार दिया, भारत से रिश्तों को बताया अटूट

हाल ही में पाकिस्तानी मीडिया में यह दावा किया गया था कि रूस और पाकिस्तान के बीच कराची स्थित पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) के पुनरुद्धार के लिए 2.6 अरब डॉलर की मेगा डील हुई है। इस खबर ने भारत में रणनीतिक चिंता को जन्म दिया, क्योंकि रूस भारत का परंपरागत मित्र और रक्षा सहयोगी रहा है। हालांकि अब रूस ने इन खबरों को सिरे से खारिज करते हुए इसे झूठा, फर्जी और मनगढ़ंत प्रचार बताया है।

रूस ने पाक मीडिया के दावों को बताया अफवाह

रूसी अधिकारियों और प्रमुख समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ इस तरह की कोई डील नहीं हुई है। रूसी मीडिया ने कहा कि इस कथित डील के पीछे कोई विश्वसनीय स्रोत या साक्ष्य मौजूद नहीं है और इस तरह की अफवाहों का उद्देश्य भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को कमजोर करना है।

रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी इस विषय पर बयान देते हुए कहा, “भारत हमारा रणनीतिक साझेदार है। पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध अलग प्रकृति के हैं और दोनों को एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।”

निक्केई एशिया रिपोर्ट को बताया असत्य

रूस ने यह भी बताया कि इस तरह की खबरों की शुरुआत निक्केई एशिया की एक पुरानी रिपोर्ट से हुई थी, जिसे 2022 में रूस में प्रतिबंधित कर दिया गया था। रूसी पक्ष ने कहा कि यह रिपोर्ट सनसनी फैलाने के मकसद से लिखी गई थी और इसमें अतिशयोक्ति की गई। स्पुतनिक के मुताबिक, रूस और पाकिस्तान के बीच सामान्य स्तर की बातचीत जरूर हुई थी, लेकिन इसे किसी मेगा डील का रूप देना गुमराह करने वाला प्रचार है।

भारत-रूस संबंध कसौटी पर खरे उतरे

रूस ने भारत के साथ अपने रिश्तों को टाइम टेस्टेड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप बताया। रूस ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध रक्षा, ऊर्जा, तकनीक और औद्योगिक क्षेत्र में गहरे हैं। रूस की ओर से यह भी दोहराया गया कि हाल ही में भारत को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की अंतिम खेप दी गई है, जो इस साझेदारी की गहराई को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, भारत-रूस संयुक्त परियोजनाओं जैसे कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस और INS तमाला युद्धपोत का निर्माण अभी भी जारी है।

पाकिस्तानी मीडिया ने क्या दावा किया

पाकिस्तानी मीडिया का दावा था कि यह डील कराची की पाकिस्तान स्टील मिल्स को पुनर्जीवित करने के लिए हुई है, जो 2015 से बंद पड़ी है। यह मिल 1970 के दशक में सोवियत संघ की मदद से बनी थी। मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इस परियोजना से पाकिस्तान के स्टील आयात में 30% की कमी आएगी। लेकिन रूस ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई परियोजना या समझौता अस्तित्व में नहीं है।

भारत सरकार की ओर से इस विवाद पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह डील सच होती, तो यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से एक सावधान करने वाला संकेत होता।

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