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PFI पर लगा 5 साल के लिए बैन : टेरर लिंक के आरोप में ऑल इंडिया इमाम काउंसिल समेत 8 और संगठनों पर भी एक्शन

केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। बता दें कि इन सभी संगठनों के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया है।

PFI जुड़े इन 8 संगठनों पर प्रतिबंध

  • रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
  • कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
  • ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
  • नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
  • नेशनल विमेन्स फ्रंट
  • जूनियर फ्रंट
  • एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
  • रिहैब फाउंडेशन

क्यों लगाया बैन ? सरकार ने बताई वजह

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से अपने सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की स्थापना की है। इसका एकमात्र उद्देश्य इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता बढ़ाना है।
  • पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन सार्वजनिक तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक संगठन के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, ये गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में कार्य करते हैं तथा देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं।
  • पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है। इससे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।
  • पीएफआई के संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी (SIMI) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात-उल-मुजाहिद्दीन यानी जेएमबी (JMB) से भी रहा है। ये दोनों संगठन प्रतिबंधित हैं।
  • पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समहूों, जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी आईसआईएस (ISIS) के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं।
  • पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन चोरी-छिपे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय के कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि इसके कुछ सदस्य अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़ चुके हैं।
  • केंद्रीय सरकार का यह मत है कि इन कारणों से विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 यानी UAPA, 1967 की धारा 3 की उप-धारा 1 के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करना आवश्यक है।
  • आगे नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबंध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों के गैर-कानूनी क्रियाकलापों पर तत्काल रोक या नियंत्रण न लगाया गया तो पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबंध संस्थाएं या अग्रणी संगठन विध्वंसात्मक गतिविधियों को जारी रखेंगे, आतंक आधारित रिग्रेसिव रिजीम को प्रोत्साहित करेंगे, एक वर्ग विशेष के लोगों में देश के प्रति असंतोष पैदा करेंगे और देश की अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को और तेज करेंगे।

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NIA ने किया ये दावा

इस छापामार कार्रवाई को लेकर एनआईए ने दावा किया है कि पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है। कोच्चि (केरल) में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया।

एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले के संबंध में 10 आरोपियों की हिरासत की मांग करते हुए 22 सितंबर को अदालत में रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची।

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PFI के निशाने पर थे कई प्रमुख नेता

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएफआई लोगों के एक वर्ग के समक्ष सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने और सत्ता तथा उसके अंगों के खिलाफ घृणा का भाव उत्पन्न करने का काम करता है। जांच में सामने आया है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे। वह समाज के अन्य धार्मिक वर्गों और आमजन के बीच दहशत पैदा करने का काम करते थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में ऐसी सामग्री पाई गई है, जिससे पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था। इस ‘हिट लिस्ट’ से मालूम होता है कि पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था। इस संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था।

केरल से चर्चा में आया था PFI

PFI सबसे पहले 2010 में चर्चा में आया था। आरोप था कि, प्रोफेसर जोसेफ ने एक प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल के जरिए पैगंबर मोहम्मद साहब का अपमान किया था। इसके बाद कहा गया कि, PFI कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट दिए थे।

देश के 23 राज्यों में सक्रिय है संगठन

पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी PFI का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। जिनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है।

क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक इस्लामिक संगठन है। ये संगठन खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है। 2006 में मनिथा नीति पसाराई (MNP) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) का गठन किया था। संगठन की जड़े केरल के कालीकट में हैं। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 23 राज्यों में इसका विस्तार हो चुका है।

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