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PFI पर फिर शिकंजा : दिल्ली-UP समेत 9 राज्यों में छापेमारी, शाहीन बाग से 30 लोग गिरफ्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 9 राज्यों की पुलिस और अन्य एजेंसियों की मदद से मंगलवार को देशभर में एक बार फिर पीएफआई (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी की है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक यह दूसरे राउंड की रेड बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, 9 राज्यों से पीएफआई के 170 से ज्यादा मेंबर्स को हिरासत में लिया गया है। वहीं, जांच एजेंसियों ने अलग-अलग जगहों से पीएफआई के कई मेंबर्स को गिरफ्तार किया है।

शाहीनबाग में दबिश, जामिया में धारा 144 लागू

दिल्ली के शाहीन बाग में NIA ने रेड करके PFI से जुड़े 30 लोगों को हिरासत में लिया है। शाहीन बाग में इस एक्शन के बाद केंद्रीय पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया है। वहीं, जामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को सर्कुलर जारी किया है। 17 नवंबर तक धारा 144 लागू रहेगी। जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों को हिदायत दी गई है कि कैंपस के भीतर या बाहर समूह में इकट्ठा ना हों। सर्कुलर में कहा गया है कि अगर कोई कानून तोड़ेगा तो यूनिवर्सिटी उसके खिलाफ सख्त एक्शन लेगी।

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इन 9 राज्यों में ताबड़तोड़ कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक, PFI से जुड़े कई सदस्यों और संस्थान के खिलाफ ये कार्रवाई जिन 9 राज्यों में चल रही है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, केरल, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और असम शामिल हैं। एजेंसी की 9 राज्यों में हुई कार्रवाई में कम से कम 247 लोग गिरफ्तार हुए हैं। उत्तर प्रदेश में 44, कर्नाटक में 72, असम में 20, दिल्ली में 30, महाराष्ट्र में 43, गुजरात में 15, मध्य प्रदेश में 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों को मिले सबूतों के आधार पर ये कार्रवाई की गई है।

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NIA ने किया ये दावा

इस छापामार कार्रवाई को लेकर एनआईए ने दावा किया है कि पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है। कोच्चि (केरल) में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया।

एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले के संबंध में 10 आरोपियों की हिरासत की मांग करते हुए 22 सितंबर को अदालत में रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची।

PFI के निशाने पर थे कई प्रमुख नेता

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएफआई लोगों के एक वर्ग के समक्ष सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने और सत्ता तथा उसके अंगों के खिलाफ घृणा का भाव उत्पन्न करने का काम करता है। जांच में सामने आया है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे। वह समाज के अन्य धार्मिक वर्गों और आमजन के बीच दहशत पैदा करने का काम करते थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में ऐसी सामग्री पाई गई है, जिससे पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था। इस ‘हिट लिस्ट’ से मालूम होता है कि पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था। इस संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था।

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