Naresh Bhagoria
11 Dec 2025
बर्लिन। भारत के व्यापार मंत्री पीयूष गोयल वर्तमान में जर्मनी दौरे पर हैं। राजधानी बर्लिन में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत जल्दबाजी में कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा और न ही अल्पकालिक लाभ के लिए अपने दीर्घकालिक आर्थिक हितों से समझौता करेगा।
पीयूष गोयाल ने कहा 'अल्पकालिक दृष्टिकोण केवल अगले छह महीनों में क्या होगा, इस पर निर्भर नहीं करता। यह केवल अमेरिका को स्टील बेचने की बात नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि भारत का दृष्टिकोण दीर्घकालिक रणनीति पर आधारित है, न कि तत्काल आंकड़ों या दबाव में आकर लिया गया निर्णय। व्यापार समझौते लंबे समय के लिए होते हैं। यह सिर्फ शुल्क की बात नहीं, बल्कि भरोसे और रिश्ते की भी बात है। ये समझौते व्यवसायों से जुड़े होते हैं। साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका में लगाए गए उच्च सीमा शुल्क से निपटने के लिए नए बाजारों की तलाश कर रहा है।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अपने फैसले हमेशा राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर ही लेता है। उन्होंने कहा, अगर कोई मुझसे कहे कि भारत यूरोपीय संघ का दोस्त नहीं हो सकता, तो मैं इसे नहीं मानूंगा। उसी तरह अगर कोई कहे कि मैं केन्या के साथ काम नहीं कर सकता, तो यह भी स्वीकार्य नहीं है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमें भारत की अर्थव्यवस्था की असली ताकत को पहचानना चाहिए। उन्होंने बताया कि भले ही भारत की इकॉनमी अभी लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की दिखती है, लेकिन परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) यानी क्रय शक्ति के आधार पर यह पहले से ही करीब 15 ट्रिलियन डॉलर की है। उन्होंने कहा कि लोगों की बढ़ती सैलरी, बेहतर रहने की सुविधा और अच्छी जीवन गुणवत्ता जैसी चीजें आज देश के लोगों के सपनों और मेहनत को नई दिशा दे रही हैं।
आगे गोयाल ने कहा, व्यापार समझौते सिर्फ टैरिफ या बाजार तक पहुंच तक सीमित नहीं होते, बल्कि ये भरोसा बनाने, दीर्घकालिक साझेदारी कायम करने और वैश्विक कारोबारी सहयोग के लिए मजबूत ढांचा तैयार करने का जरिया भी हैं।
पीयूष गोयल जर्मनी दौरे पर हैं और वहां उन्होंने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, जर्मन चांसलर के आर्थिक और वित्तीय सलाहकार व G7 और G20 शेरपा डॉ. लेविन होले से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने भारत और जर्मनी के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग के अवसरों पर बातचीत की और भारत-ईयू एफटीए पर भी सकारात्मक चर्चा हुई। दोनों देश साझा समृद्धि के लिए प्रतिबध्द हैं।