Mithilesh Yadav
23 Nov 2025
जबलपुर। साल 2023 में जबलपुर पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर संचालक और उसके साथी को नशीले इंजेक्शन की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया था। दोनों को विशेष अदालत ने 13 जनवरी 2025 को 15-15 साल की सजा के साथ दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। अब इस केस में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मेडिकल स्टोर संचालक को जमानत दे दी है और पुलिस के काम करने के तरीके पर सवाल भी उठाए हैं।
दरअसल, 28 और 29 जुलाई 2023 को जबलपुर के रहने वाले समीर गुप्ता के घर पर पुलिस ने छापा मारा था। छापे के दौरान घर से पुलिस को 26 पेटियों में 52,000 नशीले इंजेक्शन मिले थे। पुलिस के अनुसार ये नशीले इंजेक्शन नीरज परियानी के बताए गए थे। इस मामले में एनडीपीएस एक्ट में विशेष अदालत ने दोनों को दोषी करार करते हुए 15-15 साल की सजा के साथ दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें डबल बेंच जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार ने जांच एजेंसियों की काम करने के तरीके पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा, जांच एजेंसियों का पूरा ध्यान सिर्फ छोटी मछलियों पर रहता है, क्योंकि बड़ी मछलियां उनका पेट भरती है।
यानी कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि पुलिस ने असली दोषियों तक पहुंचने की बजाय छोटे आरोपियों को ही पकड़ कर कार्रवाई खत्म कर दी।
बुधवार को हुई सुनवाई में आरोपी की ओर से अधिवक्ता बसंत रोनाल्डो पेश हुए थे। कोर्ट ने कहा, पुलिस को सिर्फ दो छोटे आरोपियों तक सीमित नहीं रहना था, बल्कि उनसे पूछताछ कर मुख्य आरोपियों तक पहुंचना चाहिए था। कोर्ट ने बताया कि राकेश विश्वकर्मा नाम का एक ड्रग्स पैडलर सामने आया है। उसका साथी शाहनवाज खान रिक्शा चलाता था और महेश साहू के नाम के युवक ने शाहनवाज के नाम पर ड्रग लाइसेंस लिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सिर्फ कुछ लोगों को पकड़ कर कार्रवाई करना काफी नहीं है। हांलाकि, हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मेडिकल स्टोर संचालक को जमानत दे दी है।