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अब कुशाभाऊ ठाकरे के नाम से होगी मिंटो हॉल की पहचान, 112 साल पहले रखी गई थी नींव

मध्य प्रदेश सरकार का नाम बदलो अभियान जारी है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के बाद अब भोपाल के मिंटो हॉल का नाम बदलेगा। CM शिवराज सिंह चौहान ने BJP प्रदेश कार्यसमिति की मीटिंग में घोषणा की कि अब मिंटो हॉल का नया नाम कुशाभाऊ ठाकरे हॉल होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे पार्टी के लिए हमेशा समर्पित रहे और उन्होंने पार्टी को कई बड़े नेता दिए।

सीएम शिवराज का ट्वीट

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन सत्र में भाग लेने के बाद ट्वीट किया, ”असंख्य युवाओं को संस्कारित कर उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित व्यक्तित्व बनाने वाले, बीजेपी को बीज से वटवृक्ष बनाने वाले श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी के नाम पर अब भोपाल का मिंटो हॉल जाना जाएगा।”

कौन थे कुशाभाऊ ठाकरे ?

कुशाभाऊ ठाकरे जनसंघ के संस्थापक सदस्य और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। उनका जन्म 15 अगस्त 1922 में मध्य प्रदेश के धार जिले में हुआ था। 1942 से कुशाभाऊ ठाकरे संघ से जुड़े। वह 1942 में नीमच के प्रचारक बने थे। 1956 में जनसंघ के गठन के बाद संगठन सचिव बने। 1977 में ठाकरे मध्य प्रदेश जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। 1998 से 2000 तक वो भाजपा के अध्यक्ष रहे। वहीं 28 दिसंबर 2003 को उनका निधन हो गया।

मिंटो हॉल का इतिहास

  • मिंटो हॉल मध्यप्रदेश के बनने से लेकर पहली सरकार के गठन तक का साक्षी रहा है। आज से करीब 112 साल पहले साल 1911 में मिंटो हॉल की नींव रखी गई थी। इसे बनने में करीब 24 साल लग थे।
  • जानकारी के मुताबिक, 1909 की शुरुआत में भारत के वायसराय व गवर्नर जनरल लॉर्ड मिंटो ने भोपाल की बेगम को संदेश भिजवाया कि वे भोपाल आना चाहते हैं।
  • नवंबर 1909 में लॉर्ड मिंटो अपनी पत्नी के साथ भोपाल आए। उसी साल इंडियन कांउसिल एक्ट लागू हुआ था। पत्नी के साथ मिंटो का दौरा इसी एक्ट के तहत था।
  • 1909 में घोषणा की गई कि प्रिंस ऑफ वेल्स जॉर्ज पंचम 1911 में अगले महाराज होंगे। वहीं जॉर्ज पंचम को खुश करने के लिए मिंटो हॉल का आकार जॉर्ज पंचम के मुकुट के आकार का रखा गया ।
  • मिंटो हॉल को के लिए बहुत सारा मैटेरियल इंग्लैंड से मंगवाया गया था। जिसमें रॉट आयरन की ढली हुई सीढ़ियां, फॉल्स सीलिंग थी। 24 साल में बनकर तैयार हुए इस हॉल को बनाने के लिए तीन लाख रुपए का खर्च आया था।
  • मिंटो हॉल भोपाल राज्य की सेना का मुख्यालय भी बना। 1946 में मिंटो हॉल में इंटर कॉलेज लगना शुरू हुआ, जिसका नाम बाद में बदल कर हमीदिया कॉलेज रख दिया गया।
  • पुरानी विधानसभा रहे मिंटो हॉल में कई सेलिब्रिटी आ चुकी हैं और इसकी खूबसूरती की तारीफ कर चुकी है। सरकार हॉल में विभिन्न आयोजन करती है।
  • यह ऐतिहासिक इमारत कभी मध्य प्रदेश की विधानसभा हुआ करती थी। जब इसके नाम बदलने की बात छिड़ी तो कई नाम सामने आए। कोई बोला कि डॉ. हरिसिंह गौर के नाम पर करना चाहिए। कांग्रेस ने टंट्या भील का नाम सुझाया।

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