
इंफाल। मणिपुर के थौबल जिले में रविवार को अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष असकर अली मककमयूम के घर पर उग्र भीड़ ने हमला कर दिया। भीड़ ने नए वक्फ कानून का समर्थन करने पर उनके घर में तोड़फोड़ करने के साथ ही आग लगा दी। घटना के बाद इलाके में तनाव की स्थिति है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
हमले के बाद BJP नेता ने मांगी माफी
बीजेपी नेता असकर अली ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया था। इसके बाद विरोध शुरू हो गया और रविवार देर शाम को लिलोंग हाओरेबी इलाके में उनकी रिहायश पर भीड़ इकट्ठा हो गई। पहले तोड़फोड़ की गई और फिर घर को आग के हवाले कर दिया गया। इस हमले के बाद असकर अली ने सोशल मीडिया पर माफी मांगते हुए कहा, “मैं अपने बयान के लिए मुस्लिम समुदाय और मैतेई पांगाल समाज से माफ़ी मांगता हूं और केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि इस कानून को वापस ले लिया जाए।”
दमकल और पुलिस टीम को भी रोका गया
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब दमकल और पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो भीड़ ने उन्हें रोक दिया और काफी विरोध किया। हालांकि, इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है और न ही अब तक किसी की गिरफ्तारी हुई है।
केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को केंद्र सरकार ने 5 अप्रैल, 2025 को गजट नोटिफिकेशन के जरिए जारी कर दिया। कानून को लागू करने की तारीख अलग से घोषित की जाएगी। लोकसभा और राज्यसभा में लंबी बहस के बाद यह विधेयक पारित किया गया था।
राज्यसभा में विधेयक पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई और पक्ष में 128, जबकि विरोध में 95 वोट पड़े। जिसके बाद इसे पारित कर दिया। इससे पहले लोकसभा ने करीब 12 घंटे की बहस के बाद मंजूरी दी थी, जिसमें 288 मत पक्ष में और 232 मत विपक्ष में पड़े थे।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं कई याचिकाएं
इस कानून के खिलाफ अब तक छह याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से सोमवार को राज्यसभा सांसद मनोज झा और नेता फैयाज अहमद याचिका दायर करने जा रहे हैं। इससे पहले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान और कई अन्य संगठनों ने भी इस कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
मुस्लिम संगठनों का विरोध और आंदोलन का ऐलान
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ कानून को मुस्लिम धर्म, शरीयत और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। बोर्ड ने कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। AIMPLB ने 11 अप्रैल से राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी (कांग्रेस): वक्फ बिल मुसलमानों पर हमला है और यह भविष्य में अन्य समुदायों को निशाना बनाने की नींव रखता है।
मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस अध्यक्ष): सरकार वक्फ संपत्तियों को कारोबारियों को देना चाहती है। यह संविधान के खिलाफ है।
महबूबा मुफ्ती (PDP): यह अल्पसंख्यकों पर डाका डालने जैसा है।
आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी (NC): यह कानून भाजपा की अल्पसंख्यक विरोधी सोच को दर्शाता है।
क्या है वक्फ संशोधन कानून और क्यों हुआ विवाद?
1954 के वक्फ एक्ट में बदलाव करते हुए यह नया कानून लाया गया है। इसका मकसद वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता, दुरुपयोग पर रोक, और अनुचित कब्जे को रोकना बताया गया है। लेकिन इसमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिनका मुस्लिम संगठन और विपक्ष विरोध कर रहे हैं।
नए कानून के मुख्य बदलाव
- अब वक्फ ट्रिब्यूनल के अलावा सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में भी अपील की जा सकेगी।
- बिना दान के कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, चाहे वहां मस्जिद बनी हो।
- वक्फ बोर्ड में अब 2 महिलाएं और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य नियुक्त हो सकेंगे।
- वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अब जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में होगा।
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