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Lata Mangeshkar Death Anniversary : सुरों से दिल के तार छेड़ देती थीं लता मंगेशकर, 36 भाषाओं में आवाज देकर बनीं स्वर कोकिला; बनाए कई रिकॉर्ड

एंटरटेनमेंट डेस्क। स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आज दूसरी पुण्यतिथि है। लता दीदी को गए दो साल हो गए हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी ताजा हैं। 6 फरवरी, 2022 को आज ही के दिन उनका निधन हो गया था। 92 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। अपने आठ दशक से ज्यादा के करियर में उन्होंने 36 भाषाओं में तकरीबन 50,000 से ज्यादा गाने गाए थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर लता दीदी को याद करते हुए उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें जानते हैं।

Lata Mangeshkar Family

कलाकार के घर पैदा हुईं थीं लता

28 सितंबर 1929 को लता का जन्म इंदौर के एक सिख मोहल्ले में हुआ। बचपन के कई साल उन्होंने इंदौर में ही गुजारे थे। पिता के नाटक कंपनी में काम करने का सिलसिला भी यहीं शुरू हुआ था। लता दीदी का पहले नाम हेमा था। बाद में उनके पिता ने अपने नाटक भाव बंधन की लीड फीमेल कैरेक्टर लतिका से प्रभावित होकर उनका नाम लता रख दिया। लता मंगेशकर जब 13 साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। लता परिवार में सबसे बड़ी थीं ऐसे में घर की सारी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधो पर आ गई।

Lata Mangeshkar Child Photo

एक्टिंग से रखा इंडस्ट्री में कदम

जब लता आर्थिक तंगी से गुजर रहीं थीं तभी मास्टर विनायक अपनी मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला गौर’ के लिए एक लड़की को ढूंढ़ रहे थे। इसके लिए उन्होंने लता को अप्रोच किया। पैसों की जरूरत थी तो लता ने हां कर दी और फिल्म में एक छोटा सा रोल किया। इसी के साथ उन्होंने फिल्म के गीत ‘नटली चैत्राची नवलाई’ को अपनी आवाज भी दी। इस गाने के लिए उन्हें 25 रुपए फीस मिली थी और फिल्म में रोल के लिए कुल 300 रुपए।

Starting Carrer As Actor and Singer Lata ji

विदेशों में भी लता दीदी के गाने की धूम

महज 14 साल की उम्र में लता दीदी ने बड़े कार्यक्रमों और नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में गाने गाना शुरू किए। अपने करियर में लता जी ने केवल हिंदी भाषा में 1,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी है। 30 से ज्यादा भाषाओं में गाने का रिकार्ड भी लता दीदी के नाम है। उनके गानों की गूंज भारत समेत विदेशों तक थी। उनका गोल्डन पीरियड 1950 से शुरू हुआ और 1980 तक जारी रहा। इसके बाद उन्होंने चुनिंदा गानों को ही अपनी आवाज दी। 1974 में द गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में लता के नाम सबसे अधिक 25 हजार गाने लिखने का रिकार्ड दर्ज है।

lata mangeshkar awards

इन अवार्ड से हुईं सम्मानित

  • 1970 – बेस्ट प्लेबैक सिंगर के लिए फिल्मफेयर
  • 1972 – सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय पुरस्कार
  • 1977 – जैत रे जैत के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का पुरस्कार
  • 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
  • 1989 – पद्म विभूषण
  • 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न
  • 2007 – फ्रांस सरकार ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर)
  • 2019 – ‘डॉटर ऑफ द नेशन’ अवार्ड

Lata Mangeshkar Interview

मैं लता मंगेशकर नहीं बनना चाहूंगी : लता

लता मंगेशकर से एक बार इंटरव्यू में पूछा गया था कि वे अगले जन्म में किस रुप में आना चाहती हैं ? इस पर लता ने कहा था कि वे अगले जन्म में लता नहीं बनना चाहती। उन्होंने कहा था, मुझे दोबारा जन्म ना ही मिले तो अच्छा है… और अगर जन्म मिलता भी है तो मैं लता मंगेशकर नहीं बनना चाहूंगी। इस पर इंटरव्यूअर ने कहा- क्यों ? तो लता जी मुस्कुराते हुए बोलीं, लता मंगेशकर की जो तकलीफें हैं वो सिर्फ लता को ही पता है।

इस फिल्म के लिए गाया आखिरी गाना

लता मंगेशकर ने आखिरी बार आमिर खान की ‘फिल्म रंग दे बसंती’ को अपनी आवाज दी थी। उन्होंने फिल्म का क्लासिक गाना ‘लुका छुपी’ गाया था। इस गाने में मां-बेटे के रिश्ते को नई परिभाषा दी थी। यह गाना साल 2006 में रिलीज हुआ था।

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