Shivani Gupta
24 Dec 2025
नई दिल्ली। 26 जुलाई 2025 को देश ने कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मनाई। 1999 में इसी दिन भारत ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत कारगिल की ऊंची बर्फीली पहाड़ियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया था। यह दिवस न केवल हमारी सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि उन 527 शहीदों के बलिदान को याद करने का दिन है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
लद्दाख के द्रास में आयोजित मुख्य समारोह में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने हिस्सा लिया। उन्होंने कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और ‘विजय मशाल यात्रा’ में भाग लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से वीरों को नमन किया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: “यह दिवस जवानों की अद्वितीय वीरता का प्रतीक है”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “मां भारती के सपूतों को नमन जिनका जज्बा पीढ़ियों को प्रेरित करेगा”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: “भारत उनके बलिदान का सदा ऋणी रहेगा”
3 मई 1999 को एक स्थानीय चरवाहे ने कारगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सैनिकों की गतिविधियां देखीं। पहले इसे आतंकियों की घुसपैठ माना गया, लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह पाकिस्तानी सेना की एक साजिश थी। भारत ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया और 84 दिन के भीतर हर पहाड़ी फिर से अपने कब्जे में ली।
3 मई: चरवाहे ने घुसपैठ की जानकारी दी
5 मई: पहली मुठभेड़, 5 जवान शहीद
10 मई: ऑपरेशन विजय की शुरुआत
26 मई: वायुसेना ने ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ शुरू किया
13 जून: तोलोलिंग पर भारतीय सेना का कब्जा
5 जुलाई: नवाज शरीफ ने सेना वापसी की घोषणा की
26 जुलाई: युद्ध की आधिकारिक समाप्ति
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने दुर्गम क्षेत्रों में रात के अंधेरे में चढ़ाई की, बर्फ और दुश्मन की गोलियों के बीच मोर्चा संभाला। वायुसेना ने मिराज-2000 और मिग-29 से दुश्मन के ठिकानों पर हमले किए। नौसेना ने ‘ऑपरेशन तलवार’ चलाकर पाकिस्तान की सप्लाई लाइन काट दी।
भारत ने इस युद्ध में बोफोर्स तोपों को उतारा, जिन्होंने पहाड़ियों पर बैठे दुश्मनों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। वायुसेना और तोपखाने के संयुक्त हमलों ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
कैप्टन विक्रम बत्रा: “ये दिल मांगे मोर” का नारा देते हुए दुश्मनों को खदेड़ा, शहीद हुए। सम्मान – परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
कैप्टन मनोज पांडे: चार पाक सैनिकों को मारकर खुद शहीद हुए। सम्मान – परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा: मिग-21 से दुश्मन पर प्रहार करते हुए शहीद। सम्मान – वीर चक्र (मरणोपरांत)
कैप्टन सौरभ कालिया: युद्ध के पहले शहीद, पाकिस्तान की कैद में यातना झेलते हुए बलिदान। सम्मान – परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव: 18 गोलियां लगने के बावजूद टाइगर हिल फतेह की। सम्मान – परमवीर चक्र
पटना के कारगिल चौक को बिहार रेजिमेंट के बलिदानियों की स्मृति में स्थापित किया गया। यह स्मारक हर साल 26 जुलाई को शहीदों की शौर्यगाथा को जीवित रखता है और नई पीढ़ी को देशभक्ति से प्रेरित करता है।