
तोक्यो। नए साल पर जापान में आए 7.6 तीव्रता के भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। जिसके चलते कई घर ढह गए, कई जगह सड़कें टूट गईं और तटीय इलाकों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। जापान टुडे के मुताबिक इससे अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। वहां कई आफ्टरशॉक भी दर्ज किए गए, जिनकी तीव्रता 3.4 से 4.6 के बीच रही। जापान के रक्षा मंत्री के मुताबिक मलबे में दबे लोगों को बचाने के लिए सेना के एक हजार सैनिक तैनात किए गए हैं।
आग लगने से जलीं 200 इमारतें
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल वाजिमा सुबह के बाजार के आसपास बड़े पैमाने पर आग लग गई, जिसने लगभग 200 इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया। शहर में इमारत ढहने और मलबे में कई लोगों के दबने की सूचना मिली है। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि, सरकार ने पहले ही प्रभावित क्षेत्रों में आत्मरक्षा बलों के जवानों को भेज दिया है और सहायता प्रदान करना जारी रहेगा। जापान के मौसम विज्ञान एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर इस भूकंप को 2024 नोटो प्रायद्वीप भूकंप का नाम दिया है। जापान में सोमवार से अब तक 155 बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं।
कई घरों में बिजली गुल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इशिकावा में 32,500 घरों में बिजली नहीं है। 19 अस्पतालों में भी बिजली नहीं होने की वजह से लोगों के इलाज में परेशानी आ रही है। 1 जनवरी, 2024 को आए भूकंप की तीव्रता को देखते हुए जापान में तुरंत सुनामी की चेतावनी कर दी गई थी। इसके बाद जापान के समुद्री क्षेत्र में 5 फीट तक ऊंची लहरें भी उठीं। वहीं जापान के इशिकावा इलाके में एक और भूकंप की चेतावनी जारी की गई है।
भारतीय दूतावास ने बनाया इमेरजेंसी कंट्रोल रूम
भारतीय दूतावास ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए इमरजेंसी कंट्रोल रूम बनाया है। इससे पहले दूतावास ने ई-मेल आईडी और नंबर भी जारी किए थे। ये इस तरह हैं : + 81-80-3930-1715, + 81-70-1492-0049, + 81-80-3214-4734, + 81-80-6229-5382, + 81-80-3214-4722।
आखिर क्यों आते हैं भूकंप ?
भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी के भीतर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। हमारी पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। जब ये आपस में टकराती हैं, तब फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। जिसकी वजह से सतह के कोने मुड़ जाते हैं और वहां दबाव बनने लगता है। ऐसी स्थिति में प्लेट के टूटने के बाद ऊर्जा पैदा होती है, जो बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है।
कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र (एपीसेंटर) से मापा जाता है। भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।
किस तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है
- 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप काफी कमजोर होता है। सीज्मोग्राफ से ही इसका पता चलता है।
- वहीं 2 से 2.9 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन करता है।
- 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो।
- 4 से 4.9 तीव्रता का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। साथ ही दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
- 5 से 5.9 तीव्रता का भूकंप आने पर घर का फर्नीचर हिल सकता है।
- 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है।
- 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है। इससे बिल्डिंग गिर जाती हैं और जमीन में पाइप फट जाती है।
- 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप काफी खतरनाक होता है। जापान, चीन समेत कई देशों में 8.8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने खूब तबाही मचाई थी।
- 9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है। इमारतें गिर जाती है। पेड़ पौधे, समुद्रों के नजदीक सुनामी आ जाती है।
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