2023 में 30 मार्च को राम नवमी के दिन बेलेश्वर महादेव मंदिर में हवन का आयोजन चल रहा था, तभी अचानक बावड़ी धंस गई। घटनास्थल पर तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया और महू से आर्मी की मदद भी ली गई। रातभर चले इस ऑपरेशन में कई लोगों को बचाया गया, लेकिन इस हादसे में 36 व्यक्तियों की मौत हो गई और 18 लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गए थे, जिसमें प्रशासन और पुलिस पर सवाल उठाए गए थे।
लोअर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान 33 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। सबके बयान सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की और इसमें गंभीर लापरवाही बरती। कोर्ट ने यह भी माना कि नगर निगम को बावड़ी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जबकि नगर निगम का कार्यालय घटना स्थल के पास स्थित था। अदालत ने इसे भी नगर निगम की लापरवाही करार दिया।
बेलेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष ललित परियानी ने इस फैसले को लेकर कहा कि प्रशासन ने अपने अधिकारियों को बचाने के लिए पूरी घटना को एक विशेष दिशा में मोड़ा और ट्रस्ट के अध्यक्ष और सचिव को बलि का बकरा बना दिया। उनका कहना था कि इस पूरे मामले में प्रशासन और निगम अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि यह लोग भी जिम्मेदार थे। ट्रस्ट ने इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए विधि सलाहकारों से चर्चा करने की योजना बनाई है।
अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस ने इस मामले की पूरी तरह से विवेचना की थी और सिर्फ गलानी और सबनानी को ही आरोपी बनाया था, जबकि अन्य कई पक्षों की लापरवाही सामने आई है। अदालत ने भी यह माना कि नगर निगम की जिम्मेदारी थी, लेकिन उसने बावड़ी की स्थिति के बारे में कोई कार्रवाई नहीं की।
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