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संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने पाकिस्तान को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि वह अपने कब्जे वाले इलाकों में मानवाधिकार उल्लंघन और सेना के अत्याचारों को तुरंत रोके। भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और वहां के लोग भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के तहत अपने अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं।
हरीश ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र और संविधान जैसी अवधारणाएं पाकिस्तान के लिए विदेशी हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं में विश्वास रखते हैं, जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों के लोग सैन्य दमन और अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
भारतीय प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की वर्तमान संरचना में सुधार की भी बात कही। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया 1945 की नहीं है। अब समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद को 2025 की वास्तविकताओं के अनुसार बदला जाए।
हरीश ने कहा कि विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) को वैश्विक निर्णय-प्रक्रिया में अधिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधारों में देरी करना उन देशों के नागरिकों के साथ अन्याय है, जो विकास, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय संकटों से जूझ रहे हैं। भारत का मानना है कि निर्णय-प्रक्रिया को अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनाना जरूरी है।
हरीश ने भारत की प्राचीन सोच ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (सारा संसार एक परिवार है) का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए, ताकि संयुक्त राष्ट्र बदलते वैश्विक हालात के अनुरूप खुद को ढाल सके और एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सके।