Manisha Dhanwani
31 Aug 2025
नई दिल्ली। साइंस की दुनिया में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा काम कर दिखाया है। जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। अब वह दिन दूर नहीं जब हर कोई माता-पिता बन पाएगा। वैज्ञानिकों ने एक अनोखी खोज की है, जिसमें उन्होंने पहली बार त्वचा की साधारण कोशिकाओं (Skin Cells) का इस्तेमाल करके इंसानी अंडे (Human Eggs) बनाने में सफलता हासिल की है। यह सफलता उन लाखों दंपतियों के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आई है। जो संतानहीनता (Infertility) से जूझ रहे हैं।
वैज्ञानिकों द्वारा इस्तेमाल की गई इस नई और खास तकनीक को माइटोमियोसिस नाम दिया गया है। इस प्रक्रिया के तहत शरीर की साधारण कोशिका को लैब में इस तरह बदला जाता है कि वह एक अंडाणु बन जाए। यह अंडाणु फिर शुक्राणु (Sperm) से मिलकर भ्रूण (Embryo) बना सकता है। इस खोज का सबसे बड़ा लाभ उन लाखों दंपतियों को मिलेगा जिनके पास अंडे नहीं होते हैं या जिनके अंडे खराब हो चुके होते हैं।
इस तकनीक की मदद से महिलाएं अपनी ही त्वचा के डीएनए (DNA) का उपयोग करके आनुवंशिक रूप से संबंधित बच्चे पैदा कर सकेंगी। यह उन महिलाओं के लिए जीवन बदलने वाली सफलता है जो उम्र या बीमारी के कारण प्राकृतिक रूप से मां नहीं बन सकती हैं।
वहीं, यह तकनीक भविष्य में समलैंगिक पुरुष जोड़ों को भी अपने जैविक बच्चे पैदा करने का मौका दे सकती है। जिससे दोनों पार्टनर बच्चे के आनुवंशिक माता-पिता बन पाएंगे।
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह अभी पहला कदम है। इस तकनीक को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने और इसे आम लोगों के लिए अस्पतालों (क्लीनिक) में इस्तेमाल के लायक बनाने में अभी 10 से 15 साल का समय लग सकता है। हालांकि यह वैज्ञानिक उपलब्धि मानव प्रजनन के क्षेत्र में एक नया और क्रांतिकारी दरवाजा खोल चुकी है।