इंदौरताजा खबरमध्य प्रदेश

ज्ञानवापी की तर्ज पर होगा भोजशाला का सर्वे, हाईकोर्ट का आदेश, ASI 6 हफ्ते में सौंपेगी रिपोर्ट  

इंदौर/धार। एमपी हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने ज्ञानवापी की तर्ज पर धार भोजशाला का भी सर्वे कराने का आदेश दिया है। इस सर्वे के बाद ये साफ हो जाएगा कि धार की भोजशाला मंदिर है या फिर मस्जिद। सोमवार को इस मामले पर हुई सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) इसके लिए 5 एक्सपर्ट्स की टीम बनाएगी, जो 6 सप्ताह में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। अदालत ने इस सर्वे के लिए GPR-GPS जैसी एडवांस तकनीक अपनाने को कहा गया है। GPR यानी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार जमीनके अंदर हर स्तर की हकीकत जांचने की तकनीक है, जिसमें रडार का उपयोग होता है। इसी तरह भोजशाला के एरिया और टोटल स्टेशन सर्वे के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) का उपयोग किया जाएगा। इस अति आधुनिक तकनीक के जरिए परिसर में बने हर एक निर्माण से लेकर वहां मौजूद पेड़ और उसकी ऊंचाई तक का एक्युरेट माप आ जाता है। कोर्टने एएसआई को सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने के भी आदेश दिए हैं।

इस कारण मंजूर हुई याचिका

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 1 मई 2022 को एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की थी। इसमें, आरोप लगाया गया था कि हर मंगलवार को हिंदू भोजशाला में यज्ञ कर उसे पवित्र करते हैं, जबकि शुक्रवार को मुसलमान वहां नमाज पढ़कर यज्ञ कुंड को अपवित्र कर देते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए यह याचिका दायर की गई थी। इसके साथ ही य़ाचिका में मांग की गई थी कि, भोजशाला एक हिंदू धर्मस्थल है लिहाजा इसका कब्जा हिंदुओं को सौंपा जाए। हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं के आधार पर ही सुनवाई करते हुए सर्वे की मांग स्वीकार कर ली है।

यह है भोजशाला से जुड़ा विवाद

भोजशाला का नाम राजा भोज के नाम पर है। धार के जिला प्रशासन की वेबसाइट पर भी यही जानकारी दी जाती है। इस स्थान को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यूनिवर्सिटी माना जाता है, जिसमें वाग्देवी (सरस्वती) की प्रतिमा स्थित थी। हालांकि विवाद इस बात को लेकर हैं कि हिंदू पक्ष कहता है कि इसे मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मुस्लिम धर्म स्थल है और वहां सालों से इबादत की जा रही है। हालांकि फिलहाल वाग्देवी की प्रतिमा लंदन के एक म्यूजियम में है।

फिलहाल दोनों पक्षों के बीच इस तरह का है समझौता

भोजशाला को लेकर कई बार विवाद हो चुका है। कई बार हिंसा की वारदातों के बाद एएसआई ने शासन और प्रशासन के दिशा-निर्देश पर दोनों पक्षों के लिए अलग अलग व्यवस्था कर रखी है। भोजशाला में मंगलवार को हिंदूपक्ष को पूजा-अर्चना करने की अनुमति है, जबकि शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने के लिए दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए दोनों पक्षों को निशुल्क प्रवेश मिलता है। बाकी दिनों में 1रुपए का प्रवेश टिकट लगता है। इसके अलावा बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए हिंदूपक्ष को पूरे दिन पूजा और हवन करने की अनुमति है। ऐसे में जिस दिन बसंत पंचमी औरशुक्रवार या ईद एक ही दिन पड़ जाते हैं, उस दिन विवाद की स्थिति बन जाती है।

यह है भोजशाला का इतिहास

हिंदूपक्ष का कहना है कि यह सरस्वती मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने यहां मौलानाकमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृतमें श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज भोजशाला में लगी वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन लेगए थे। याचिका में भी यही कहा गया है कि भोजशाला हिंदुओं का उपासना स्थल है और नमाजके नाम पर भीतर के अवशेष मिटाए जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें-पटवारी का सरकार पर हमला : MP के बजट की 30 फीसदी राशि भ्रष्टाचार में जाएगी, बाकी वेतन, मंत्री-सांसदों के घर चमकाने में लगेगा

संबंधित खबरें...

Back to top button