Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
ग्वालियर कलेक्ट्रेट में मंगलवार को उस समय हंगामे की स्थिति बन गई जब जनसुनवाई के दौरान एक शिकायतकर्ता और तहसीलदार आपस में भिड़ गए। मामला इतना बढ़ा कि दोनों के बीच झूमाझटकी हो गई और अंततः पुलिस को बुलाना पड़ा। शिकायतकर्ता को थाने ले जाया गया। पूरा घटनाक्रम प्रशासन की जवाबदेही और जनसुनवाई की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है।
उपनगर मुरार के करगवां निवासी मिथुन परिहार कलेक्ट्रेट जनसुनवाई में अवैध कॉलोनी निर्माण की शिकायत लेकर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि करगवां में बड़ागांव के आगे भू-माफिया द्वारा एक अवैध कॉलोनी बसाई जा रही है, जिसमें सरकारी भूमि भी शामिल है। मिथुन का कहना है कि इससे आसपास के लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
मिथुन ने पहली बार 14 मार्च 2023 को इस मामले में शिकायत की थी, जिसके बाद से वे कई बार जनसुनवाई में पहुंच चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें केवल कार्रवाई का आश्वासन मिला। इस बार जब मुरार तहसीलदार मधुलिका सिंह ने फिर से केवल आश्वासन दिया, तो मिथुन नाराज हो गए और उन्होंने "एक्शन चाहिए, आश्वासन नहीं" कहकर विरोध जताया।
मिथुन की तीखी आवाज और नाराजगी से वहां मौजूद अधिकारी असहज हो गए। वे उसे कक्ष से बाहर निकालने लगे। तभी सिटी सेंटर तहसीलदार कुलदीपक दुबे मुरार तहसीलदार के समर्थन में आए और बात इतनी बढ़ गई कि दोनों के बीच तेज बहस और झूमाझटकी शुरू हो गई।
शिकायतकर्ता ने जब किसी अधिकारी द्वारा हाथ लगाने पर आपत्ति जताई तो तहसीलदार दुबे ने उसे खींच लिया। स्थिति बिगड़ती देख मौके पर पुलिस बुला ली गई और शिकायतकर्ता को थाने ले जाया गया।
थाने ले जाए गए मिथुन परिहार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं तीन साल से शिकायत कर रहा हूं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। जब भी जाता हूं, बस जांच और आश्वासन की बात होती है। आज जब मैंने प्रशासन से सवाल किया तो मुझे धक्का-मुक्की करके बाहर निकाला गया। मेरे साथ मारपीट हुई है।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर जनसुनवाई की पारदर्शिता और प्रशासन की जवाबदेही को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिकायतकर्ता वर्षों से प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद लगाए बैठा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।