Naresh Bhagoria
8 Nov 2025
गुना। जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत गढ़ा के ग्रामीण लंबे समय से एक गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। गांव में न तो पक्का मुक्तिधाम है और न ही वहां तक जाने के लिए सुरक्षित मार्ग। मजबूरी में ग्रामीण अपने मृतक परिजनों का अंतिम संस्कार खुले में ही करने को मजबूर हैं। खासकर बारिश के दिनों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि नाले और कीचड़ से होकर श्मशान तक पहुंचना पड़ता है, जिससे कई बार घंटों संघर्ष करना पड़ता है। इस समस्या के बावजूद पंचायत प्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी वर्षों से कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि न तो सरपंच सुनते हैं और न ही सचिव।

हाल ही में गढ़ा गांव के प्रदीप शर्मा ने अपने पिता का अंतिम संस्कार खुले में किया। उन्होंने बताया कि यह स्थिति अत्यंत दुखद और अपमानजनक है। इसी तरह हरिप्रसाद शर्मा ने कहा कि 9 साल पहले उनकी बेटी का अंतिम संस्कार भी इसी तरह किया गया था। पांच साल पहले विष्णु प्रसाद शर्मा का अंतिम संस्कार भी इसी क्षेत्र में खुले में किया गया।
ग्रामीणों के अनुसार, यहां से श्मशान स्थल तक जाने के लिए कोई पक्का मार्ग नहीं है। बरसात में नाले और कीचड़ से गुजरना पड़ता है, जिससे कई बार हादसे भी हो चुके हैं। एक घटना में तेज बारिश के दौरान एक बच्चा बह गया था।
ग्रामीणों ने जनपद पंचायत गुना की लापरवाही पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि शासन स्तर पर विकास कार्यों के लिए बड़ी राशि खर्च की जा रही है, लेकिन गढ़ा जैसे गांवों में बुनियादी सुविधाओं की भी उपेक्षा की जा रही है।
ग्रामीणों की मांग है कि गढ़ा गांव में तुरंत पक्का मुक्तिधाम बनाया जाए और वहां तक जाने के लिए सुरक्षित और पक्के मार्ग का निर्माण किया जाए। ताकि मृतक को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी जा सके और ग्रामीणों को बार-बार खुले में अंतिम संस्कार जैसी पीड़ा का सामना न करना पड़े।