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बेटे की मौत पर पिता का संकल्प, किसी घर का चिराग न बुझे

बेटे के अंगदान कर 7 परिवारों को अपना बना लिया, अब अंगदान अभियान से जुड़े

भोपाल। कोलार निवासी पूर्व बैंक कर्मी राजेश कोरान्ने के बेटे शशांक की 2017 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। बेटे की मौत के बाद पिता ने बेटे के अंगदान का फैसला किया। उन्होंने दिल समेत सभी आॅर्गन डोनेट कर दिए और उन परिवारों को अपना बना लिया, जिन्हें मुश्किल वक्त में खास अंग की जरूरत थी। राजेश ने संकल्प लिया कि हादसों में किसी के परिवार का चिराग न बुझे और अंगदान जागरुकता से जुड़ गए।

सात परिवारों के लोगों को दी नई जिंदगी

राजेश ने भरे मन से बेटे के अंगों को दान करने की सहमति दी थी। शशांक के दिल से मुंबई के एक युवक को नई जिंदगी मिली। वहीं दोनों किडनी, लिवर और आंखों ने भोपाल के छह परिवारों को नई जिंदगी दी। अब हाल यह है कि जिन परिवारों नई जिंदगी मिली उनसे अब पारिवारिक रिश्ता भी जुड़ गया है।

अभियान से जुड़कर बचा चुके दो दर्जन जिंदगियां

 

राजेश कहते हैं मुझे अंगदान का महत्व समझ आया तो तय किया कि इस मुहिम को आगे बढ़ाऊंगा। इसके बाद उन्होंने अंगदान जागरुकता कार्यक्रम से जुड़ने का संकल्प लिया। अंगदान कार्यक्रम चलाने वाले डॉ. राकेश भार्गव कहते हैं कि जवान बेटे की मौत के बाद माता-पिता टूट जाते हैं, लेकिन राजेश ने जो हिम्मत दिखाई वह अद्भुत है। अब वह हमारे साथ लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करते हैं। यह जागरुकता का ही असर है कि अब तक दो दर्जन से ज्यादा परिवारों को बिखरने से बचाया जा सका ।

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