पिछले एक साल से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर जमें किसान अब घर लौट रहे हैं। सरकार के आश्वासन और संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन उठाने के एलान के बाद 379 वें दिन दिल्ली की सीमाओं से किसानों की वापसी का दौर शुरू हो गया। एक साल तक किसान सडकों पर डटे रहे, खुले आसमान के नीचे तंबू और टेंट के भीतर गर्मी-सर्दी सब सहते रहे। लेकिन आज किसानों के चेहरे पर परेशानी नहीं, खुशी देखने को मिल रही है। किसान आज गाजे बाजे के साथ अपनी जीत का जश्न मनाते हुए विजय रैलियां निकालेंगे और अपने घरों की ओर निकल जाएंगे।
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ट्रैक्टर ट्रॉलियों की खेतों में वापसी
दिल्ली से हरियाणा तक से किसान अपने घरों को लौट रहे हैं। सड़क से तंबू, टेंट और पंडाल हटाए जा रहे हैं। नेशनल हाइवे 44 पर आंदोलन के दौरान बनाए गए ईंटों के मकानों को किसानों ने तोड़ दिया है। आंदोलन के दौरान किसानों ने ट्रैक्टर ट्रॉलियों में तक घर बना रखा था। अब ये ट्रैक्टर ट्रॉलियां पंजाब-हरियाणा और यूपी के खेतों में वापस पहुंचेगी और एक बार फिर अन्नदाता अनाज उगाने के काम में जुट जाएंगे।
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15 दिसंबर तक खत्म हो जाएंगे सारे प्रदर्शन
15 दिसंबर तक किसानों की टोली पंजाब-हरियाणा समेत दिल्ली की सड़कों को पुरी तरह खाली कर देगी। टोल, मॉल और पेट्रोल पंप पर चल रहा प्रदर्शन भी खत्म हो जाएगा। दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर से बैरिकेडिंग भी हटाए जा रहे हैं।
15 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक
13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जाएंगे। वहीं 15 दिसंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक होगी। किसानों ने स्पष्ट किया है कि इस आंदोलन को अभी स्थगित किया जा रहा है। किसान संयुक्त मोर्चा हर महीने प्रस्तावों की समीक्षा करेगा। अगर लंबे समय तक किसानों की मांगे लटकी रहीं तो आंदोलन फिर शुरू होगा।