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आत्मनिर्भर बनाने ‘ वेस्ट से बेस्ट’ की अलख जगा रहीं अनघा

हर्षित चौरसिया जबलपुर। महात्मा गांधी की सोच, सादगी और आचार्य विनोभा भावे के जीवन से प्रेरित एडवोकेट अनघा पॉल वेस्ट से बेस्ट बना युवतियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की अलख लगा जगा रही हैं। उनका मानना है कि प्लास्टिक से न सिर्फ प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि बाजारवाद भी हावी हो रहा है। ऐसे में जरूरत है, सेव रिसोर्स की। उन्होंने इस काम को करने की ठानी और अपने ही घर पर इसे शुरू किया। युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ घरों से निकले पुराने कपड़ों से घरेलू व रोजमर्रा के सामान को तैयार कर रही हैं। युवतियों को उनकी साथी चैताली मिश्रा ट्रेनिंग देती हैं। यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद आज कई युवतियां आत्मनिर्भर होकर अपने बुटिक और अन्य काम कर रही हैं। वे अपने पैरों पर खड़े होने का श्रेय गुरु मां अनघा पॉल और चैताली मिश्रा को देती हैं।

4,500 किग्रा कपडे का उपयोग

अनघा पॉल बताती हैं कि उन्हें अब तक 4,500 किग्रा पुराने कपड़े डोनेशन में मिले हैं। इन कपड़ों से करीब 20 प्रकार के प्रोडक्ट, जिसमें बेबी किट, महिलाओं के लिए साइड बैग, टोपी, पैरदान, टेबल कवर, गिफ्ट बैग, महिलाओं के लिए पर्स आदि बनाते हैं। इन प्रोडक्ट को तैयार करने के लिए आए हुए कपड़ों को चार प्रक्रिया से गुजारा जाता है।

अनघा पॉल मेडम मेरी प्रेरणास्त्रोत हैं। मैं उनसे 3 साल पहले जुड़ी थी। उनसे मिली सीख से मैंने सिलाई के लिए एक बड़ी मशीन ले ली है। आज भी उनके माध्यम से मुझे काम मिल रहा है। – सुमन ठाकुर

स्कूल से रिटायर्ड हूं। परिवार में मेरा कोई नहीं है। मैं अनघा पॉल मेडम से जुड़ी, उन्होंने मुझे कटाईसि लाई की ट्रेनिंग दी। मैं उनके साथ ही काम कर रही हूं और आर्थिक रूप से सक्षम हूं। – नीता चौहान

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