Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
तीन दिवसीय ‘भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल’ के छठवें संस्करण का शुभारंभ भारत भवन में शुक्रवार को हुआ। पहले दिन सुबह वरिष्ठ सितार वादिका स्मिता नागदेव तो वहीं शाम में इंडियन पॉप क्वीन उषा उत्थुप ने परफॉर्मेंस दी। उषा ने जेम्स बॉन्ड के गीत लेट्स स्कायफॉल...से की। इसके बाद आई जस्ट काल..., वॉव....सहित एक से बढ़कर एक पॉप गीतों की प्रस्तुति दी। हिंदी गीत दम मारो दम... और हरे राम हरे कृष्ण... गाना सुनाकर समां बांध दिया, हालांकि इस दौरान बार-बार आंखों के सामने मच्छरों के आने से उषा को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।
देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में चार दशक की सेवा देने वाले रजनीश कुमार की पुस्तक बैंकर द कस्टोडियन ऑफ ट्रस्ट पर डॉ. रमेश शिवगुंडे और डॉ. राजन कटोच ने उनके साथ चर्चा की। सम्राट विक्रमादित्य लाइफ एंड टाइम्स पर आयोजित सत्र में डॉ. राज पुरोहित और आरसी ठाकुर ने विक्रमादित्य के जीवन पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान डॉ. पुरोहित ने कहा कि विक्रमादित्य ने विक्रम संवत आरंभ किया, शको को पराजित किया। उन्होंने विक्रम संवत को बड़ी भारतीय उपलब्धि बताया। इनफ्लूएंसर्स पर केंद्रित सत्र में आईएएस अविनाश लवानिया ने कहा कि सोशल मीडिया लोगों से जुड़ा प्लेटफॉर्म है। जब कोई इस प्लेटफॉर्म पर मुद्दा उठाता है तो उसका असर पड़ता है। एआई और डीप लर्निंग सोशल मीडिया पर विषय को उठाने में सटीक मदद करती है। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर के साथ सविता राजे ने चर्चा की। इस मौके पर ब्रजेश राजपूत की पुस्तक ‘द एवरेस्ट गर्ल’ का भी विमोचन हुआ।
लिटरेचर जैसे विषय पर तो यह आयोजन मुझे नहीं लगता, यदि ऐसा होता तो देश के जाने-माने साहित्यकार इस आयोजन में होते। यह मुझे अभिजात्य वर्ग का कार्यक्रम लगता है जिसमें आयोजक चाहते भी नहीं है कि उससे इतर लोग इसमें शामिल हो। शहर की साहित्यिक संस्थाओं को साथ लेते हुए इस आयोजन को उर्दू-हिंदी के करीब ले जाया जा सकता है जो कि इससे नदारद दिखती हैं। भोपाल की साहित्यिक बिरादरी भी यहां नहीं दिखती। मुझे यह डेस्टिनेशन वेडिंग की तरह एक डेस्टिनेशन इवेंट लगता है, इसके स्वरूप में बदलाव होना चाहिए।- डॉ. साधना बलवटे, निदेशक, निराला सृजन पीठ
भोपाल में लिटरेचर फेस्टिवल कर रहे हैं तो उर्दू-हिंदी का संग भी होना चाहिए। भोपाल की भाषा सिर्फ अंग्रेजी तो है नहीं। मुझे कई साल पहले यहां बात करने के लिए बुलाया गया था, तब मैंने यह बात वहां कही भी थी। यह मुझे आईएएस बिरादरी का कार्यक्रम ज्यादा लगता है। बुनियादी रूप से यह जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की नकल है, अब उसमें हिंदी की भी जगह होती है, हालांकि वो मुख्य रूप से अंग्रेजी का कार्यक्रम रहा है। जयपुर में पीपुल्स लिटरेचर फेस्टिवल शुरू हुआ जो कि हिंदी में होता है, प्रगतिशील लेखक संघ उसका आयोजन करता है। बीएलएफ में मुझे कुछ खास बात नहीं दिखती, मुझे यहां कोई बड़ा दर्शक वर्ग भी नहीं दिखता। स्कूल-कॉलेज से स्टूडेंट्स ही नजर आते हैं। -राजेश जोशी, वरिष्ठ कवि, कथाकार