SCO समिट के बाद डोनाल्ड ट्रंप बड़ा बयान, कहा- भारत ने टैरिफ में कटौती की पेशकश की, लेकिन अब देर हो रही...
वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर तीखा बयान दिया है।
ट्रंप ने सोमवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पूरी तरह से एकतरफा और विनाशकारी रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने दशकों से अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंचे टैरिफ लगाकर अमेरिकी कारोबार को नुकसान पहुंचाया है, जबकि भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में सामान बेचता है।
भारत के साथ व्यापार पूरी तरह से एकतरफा
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत ज्यादा व्यापार करते हैं। वे हमें भारी मात्रा में सामान बेचते हैं, जबकि हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। यह दशकों से पूरी तरह से एकतरफा रिश्ता रहा है।”
ट्रंप का कहना है कि भारत की ऊंची आयात शुल्क नीति की वजह से अमेरिकी कंपनियां भारतीय बाजार में अपने उत्पादों की बिक्री नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने इसे अमेरिका के लिए एक ‘पूरी तरह से एकतरफा आपदा’ बताया।
रूस से तेल और हथियार खरीदने पर आपत्ति
ट्रंप ने भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि भारत अपना ज्यादातर तेल और मिलिट्री प्रोडक्ट रूस से खरीदता है, अमेरिका से बहुत कम।
ट्रंप ने आरोप लगाया कि इस वजह से अमेरिका को अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत ने अब अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को ‘शून्य’ करने की पेशकश की है, लेकिन अब इसके लिए बहुत देर हो चुकी है।
अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला
ट्रंप प्रशासन ने 31 जुलाई को सभी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद 6 अगस्त को ट्रंप ने एक और कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत रूस से तेल आयात करने और क्रेमलिन की ‘युद्ध मशीन’ को बढ़ावा देने के आरोप में भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया गया। इस तरह कुल मिलाकर भारतीय वस्तुओं पर 50% आयात शुल्क लगाया गया है।
भारत की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं
ट्रंप के इन आरोपों और अतिरिक्त टैरिफ पर भारत सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि यह बयान ऐसे समय पर आया है जब प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में चीन और रूस के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की थी।