
जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर से पुलिस की बर्बरता का एक गंभीर मामला सामने आया है। जहां एक युवक को पुलिस कस्टडी में बेरहमी से पीटा गया। शहपुरा पुलिस पर उसके साथ मारपीट करने और फिर उसी हालत में पाटन जेल भेजने का आरोप है। जिसके बाद पीड़ित युवक की हालत चार दिन में बिगड़ने लगी, तो उसे जेल से रिहा कर उसकी बहन के सुपुर्द कर दिया गया। सुदर्शन ने बाद में एक समाजसेवी के माध्यम से पूरे मामले को सार्वजनिक किया है और न्याय की गुहार लगाई है।
समाजसेवी ने लगाए गंभीर आरोप
शहपुरा के समाजसेवी जंग बहादुर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सुदर्शन सिंह बंशीपुर गांव का निवासी है। पुलिस ने 9 अप्रैल को उसके घर पर अवैध शराब के संदेह में छापा मारा था। हालांकि कोई शराब बरामद नहीं हुई, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने उसे पकड़कर थाने ले जाकर बेरहमी से पीटा। समाजसेवी ने बताया कि पीड़ित को इतनी बुरी तरह मारा गया कि वह न ठीक से चल सकता है, न बैठ सकता है। उसकी पीठ, कमर और आंखों में गंभीर चोटें आई हैं। समाजसेवी का कहना है कि सुदर्शन पर झूठा केस दर्ज कर उसे तहसीलदार की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे पाटन जेल भेज दिया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
तबीयत बिगड़ने पर किया रिहा
पाटन उप जेल के जेलर हेमेंद्र बागरी ने पुष्टि की है कि सुदर्शन सिंह को 9 अप्रैल को शहपुरा पुलिस जेल में लेकर आई थी। वह पहले से ही घायल था और जेल रजिस्टर में उसकी चोटों का उल्लेख किया गया था। पुलिस और सुदर्शन दोनों से इस संबंध में दस्तखत भी लिए गए थे। जेलर ने बताया कि सुदर्शन 9 से 13 अप्रैल तक जेल में रहा, और 14 अप्रैल की सुबह उसकी तबीयत बिगड़ने पर जेल प्रशासन ने तहसीलदार को सूचना देकर उसे रिहा कर दिया।
पुलिस का चौकानें वाला बयान
शहपुरा के एएसपी आनंद कलादगी ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुदर्शन के आरोप निराधार हैं। पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाना गलत है। एएसपी ने बताया कि 9 अप्रैल को क्षेत्र में शराबबंदी के समर्थन में एक पदयात्रा आयोजित की गई थी, जिसमें सुदर्शन सिंह ने कथित तौर पर महिलाओं से छेड़छाड़ की थी। इसके चलते गुस्साई भीड़ ने उसकी पिटाई की थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सुदर्शन पर अवैध शराब बेचने के कई मामले पहले से दर्ज हैं।
पीड़ित ने की न्याय की मांग
चार दिन बाद जब सुदर्शन को जेल से रिहा किया गया तो वह सीधा अपनी बहन के पास गया और फिर एक समाजसेवी से मदद ली। अब वह गंभीर शारीरिक स्थिति में है और चल-फिर भी नही पा रहा है। समाजसेवी जंग बहादुर ने इस मामले को प्रदेश के मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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