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11 साल पहले लगाए 50 हजार पौधे आज पेड़ बनकर लोगों को दे रहे सुकून

रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विनोद शर्मा ने 25 पहाड़ियों को किया हरा-भरा

धर्मेदी त्रिवेदी-ग्वालियर। 25 पहाड़ियों को हरा-भरा करने के लिए 11 वर्ष पूर्व 50 हजार नीम सहित अन्य पौधे रोपे गए थे। यह अभियान पूर्व आईएएस विनोद शर्मा के द्वारा चलाया गया था। उस समय रोपे गए ये पौधे अब नीम वन का रूप ले चुके हैं। इस पौधरोपण के अलावा नए प्रयासों में युवाओं का समूह ग्वालियर के फेफड़े, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, कृष्णायन हरिद्वार के संतों द्वारा आदर्श गोशाला और रानीघाटी गोशाला में लगाए गए पौधों की सर्वाइकल रेट 80 प्रतिशत से अधिक है।

युवा समूह के सदस्यों का कहना है कि हर दिन बाइक से चक्कर लगाकर निगरानी से बेहतर परिणाम आए हैं। सिख धर्मगुरु पद्मश्री बाबा और बाबा लक्खा सिंह की अगुवाई में पेड़ लगाने का अभियान भी सफल रहा है। पौधरोपण के द्वारा पर्यावरण व हरियाली को बनाए रखने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।

हरियाली का उदाहरण

रायपुर पहाड़ी पर 15 हजार, नयागांव पहाड़ी पर 6 हजार, मोहनगढ़ में पठारी और ढलवां मुरम की पहाड़ी पर 4500, उदयपुर पहाड़ी पर करीब 5 हजार से अधिक नीम, आंवला सहित अन्य पौधे वृक्ष बन गए हैं।

इनके प्रयास जो दे रहे हरियाली

  • सिख धर्मगुरुओं की अगुवाई में साडा के पथरीले क्षेत्र में 10 हजार से अधिक पांच फीट या इससे अधिक ऊंचाई वाले पेड़ लगाए हैं। हर बारिश के सीजन में गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ की निगरानी में 35 हजार से अधिक पौधे लगा रहे हैं।
  • ग्वालियर के फेफड़े समूह के माध्यम से अब तक 5 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं।
  • प्रशासन सिरोल पहाड़ी पर 10 हजार पेड़ बड़े हो चुके हैं, इसी क्षेत्र में अब अटल स्मारक प्रस्तावित है।

यह दे सकता है एक पेड़

  • पीपल, नीम, बरगद, आम, जामुन, पाखर, ऊमर, गुलमोहर, महुआ आदि का एक पेड़ 100 से 150 पक्षियों को आसरा दे सकता है।
  • एक पेड़ के आसपास लगभग 300 मीटर की परिधि में ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहती है।
  • हरियाली रहने से हानिकारक बैक्टीरिया पनपने की संभावना न के बराबर रहती है।
  • धूल और प्रदूषण को सोखने की कुदरती क्षमता सिर्फ पेड़ों में है।
  • बड़े पेड़ों के आसपास तापमान नियंत्रित रहता है।

हरियाली महोत्सव

तत्कालीन समय में हरियाली महोत्सव के समय हमने बंजर जमीनों को चिन्हित कर सघन पौधरोपण किया था। यह पूरी टीम का प्रयास था। -विनोद शर्मा, पूर्व आईएएस

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